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हाय-हाय रे गर्मी! उफ यह गर्मी!से राहत हेतु तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता

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बेरमो कोयलांचल गर्म तावे के समान तप रही है, सड़के और बाजार सुनसान और विरान

सिर्फ झारखंड का बोकारो जिला ही नहीं राज्य का हर जिला, दुसरे शब्दों में भारतवर्ष के प्रत्येक राज्य में प्रचंड गर्मी अपने पुरे उफान पर है, इस प्रचंड और उमस भरी गर्मी से इंसान तो इंसान जानवर पशु पक्षी सभी हलकान है अब तो आलम यह हो गई है कि पक्षियों की गर्मी से मौत तक होने का सिलसिला शुरू हो गया है। प्रत्येक दिन गर्मी के नए-नए रिकॉर्ड स्थापित हो रहे हैं। जिसमे आज बोकारो जिला का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया है तो दिल्ली में  भी ज्यादा/अत्यधिक गर्मी की मार दिल्ली वासी झेल रहे हैं। हम सभी पर्यावरण दिवस मनाते हैं पौधा लगाते हुए फोटो शूट करवा कर लंबी-लंबी बातें नजर आते हैं। मगर दुनिया के बढ़ते तापमान पर चिंता व्यक्त करना एक परम्परा बन गया है। मगर क्या हम लोग अपने जिला प्रखंड कस्बे को तापमान मुक्त रखने हेतु कुछ उपाय जमिनी स्तर पर करते हैं क्या। जब तक पर्यावरण के प्रति हम सभी लोग जागरुक नही होगे शायद इससे भी बुरे दिन देखने पड़ सकते हैं। इसके प्रति जब तक धरातल पर काम उतरेगा नहीं तब तक उसका परिणाम भी दिखाई नहीं पड़ेगा और उसके लिए कुछ आवश्यकता भरी बातें जिसे हम सभी को अपनी जिम्मेवारी समझते हुए अपने जीवन का आधार बनाना होगा। इसमें बोकारो  जिला के लिए जो आवश्यक है उसे अवश्य  रूप से पूरी करने की आवश्यकता है। बोकारो जिला अंतर्गत हर पुराने/नष्ट हुए पेड़ की जगह पौधारोपण करना,दूसरा अवैध आरा मिलो को शक्ति के साथ बंद करवाना।

तीसरा प्रत्येक रविवार को लगने वाले हाट बाजार में  चौकी, टेबल इत्यादि की बिक्री की जांच करना। चौथा पॉलिथीन उत्पादन तथा उपयोग पर प्रतिबंध लगाना जिसे की माननीय झारखंड हाई कोर्ट ने कब का प्रतिबंधित कर दिया है।प्लास्टिक पैकिंग पर रोक लगाना यह सारे उपाय हमें तत्काल राहत न दे, परंतु इन उपायों का दुर परिणाम अवश्य मिलेगा।अब सोचना हमे और आपको है, कि अपने आसपास हम पर्यावरण को कितना बचाते हैं और क्षेत्र हरा भरा रखने के लिए प्रयास करते हैं, नही तो वह दिन दुर नही जब यहां के बढ़ते तापमान हमारी और आपकी जान लेना शुरू कर देगी। और हम सभी नागरिकों के लिए चिंता व सोचने का विषय है। जिस रफ्तार से पेड़ों की कटाई हो रही है शायद उस अनुपात में वृक्ष नही लगाये जा रहे परिणाम आज हम खुद अपनी आंखों से देख और कुप्रभाव भुगत भी रहे हैं। विकास का अर्थ यह कतई नहीं हो सकता कि लोगो की जान पर ही बन आये अब सोचना आपका और हमारा काम है कि आने वाले दिनों में हम हर व्यक्ति कम से कम दो चार पेड़ लगाये और पर्यावरण बचाने और खास कर अपने जीवन बचाने की पहल आज से ही शुरू कर दे।

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