माननीय सर्वोच्च न्यायलय, झारखंड उच्च न्यायालय एवं प्रधान जिला जज बोकारो अनिल मिश्रा के निर्देशानुसार तेनुघाट जेल में तेनुघाट व्यवहार न्यायालय के एसीजेएम मनोज प्रजापति के अगुवाई में जेल अदालत सह कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया । बंदियों को संबोधित करते हुए श्री प्रजापति ने बंदियो को कानूनी जानकारियां देते हुए डायन प्रथा अधिनियम के बारे में बताया कि दहेज लेना और देना दोनों कानूनी अपराध है। इसलिए ऐसे अपराध से बचना चाहिए। आगे डायन प्रथा अधिनियम के बारे में बताया कि किसी को डायन कहना अपराध है, जिसमें जेल भी जाना पड़ता है। डायन कमजोर, वृद्ध, विधवा महिलाओं की लोग कहते हैं। आगे कई तरह की कानूनी जानकारियां बंदियो को दी । आगे बताया कि जेल में बंदियों को मिलने वाली सुविधाएं के बारे में जानकारी दी । आगे बताया कि जेल जेल नहीं यह सुधार गृह है, जहां से आप अपने गलतियों पर विचार कर उसे सुधार कर बाहर निकले । मुंसिफ शिवराज मिश्रा ने भी बंदियों को कानूनी जानकारियां देते हुए बताया कि जो बंदी अधिवक्ता नहीं रख सकते हैं उनके आवेदन पर उन्हें न्यायालय के द्वारा अधिवक्ता मुहैया कराया जता है । बंदियो के द्वारा कोई भी आवेदन नहीं दिया गया था, इसलिए कोई भी बंदी की जेल से रिहा नहीं हुए । बंदियों को जानकारियां देने के बाद न्यायिक पदाधिकारी ने जेल में बंदी वार्ड, महिला वार्ड, रसोईघर, सहित अन्य जगह का निरीक्षण किया । मंच संचालन कर रहे अधिवक्ता सुभाष कटरियार ने बंदियों को दहेज अधिनियम, अधिकार एवं कर्तव्य सहित कानून की कई जानकारी दी । स्वागत भाषण तथा धन्यवाद ज्ञापन जेलर नीरज कुमार ने किया । पैनल अधिवक्ता देव दत तिवारी ने भी कई तरह की जानकारी दी । इस अवसर पर सुजय आनंद, विजय कुमार, मदन प्रजापति सहित जेल के में मौजूद जेल प्रशासन ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई ।