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काशीनाथ केवट ने झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितिकरन आयोग का पुनर्गठन करने व कार्यकाल का विस्तार करने की मांग

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झारखंड आंदोलनकारी नेता काशीनाथ केवट नें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र प्रेषित कर झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितिकरन आयोग का पुनर्गठन करने एवं आयोग का कार्यकाल अवधि विस्तार करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान आयोग के कार्यकाल का मात्र दो दिन ही शेष रह गया है। 14 जुलाई 2024 को आयोग का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलन में शामिल सत्तर हजार आंदोलनकारियों का आवेदन फॉर्म अभी भी आयोग कार्यालय की धूल फांक रहा है। यहाँ तक कि सक्रिय रूप से भाग लेनेवाले आंदोलनकारी नेताओं को भी अभीतक चिन्हित नहीं किया जा सका है। कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नें मुख्यमंत्री के तौर पर जब आयोग का पुनर्गठन किया था तब उन्होंने कहा था कि एक-एक आंदोलनकारी को पूरा मान-सम्मान और अधिकार देने का राज्य सरकार ने संकल्प लिया है। अलग झारखंड आंदोलन के अंतिम पंक्ति में शामिल आंदोलनकारियों को भी चिन्हित कर उनका हक दिया जाएगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि अलग झारखंड राज्य का गठन होना एक बड़ी उपलब्धि थी। अलग झारखंड राज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए हजारों की संख्या में आंदोलनकरियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। इसलिए राज्य के विभिन्न रिसोर्स, संपत्ति पर पहला अधिकार आंदोलनकारी अथवा उनके परिवार का होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अलग झारखंड राज्य बनाने के आंदोलन में शामिल रहे सभी आंदोलनकारियों की पहचान कर किसी भी तरह की भूमिका निभाने वालों को साढ़े तीन हजार रुपये से लेकर सात हजार रुपये तक की पेंशन एवं अन्य लाभ देने की घोषणा की थी। उस समय मुख्यमंत्री सोरेन ने पूर्ववर्ती भाजपाई सरकार को आड़े हाथों लेते कहा था कि आरंभिक वर्षों में तो मात्र दो हज़ार के लगभग ही आंदोलनकारी चिन्हित किए गए थे। इस आंकड़े को देखकर मुझे लगा कि अलग राज्य के लिए इतना लंबा संघर्ष चला है तो आंदोलनकारियों की संख्या इतनी कम नहीं हो सकती। तब हेमंत सरकार के गृह विभाग नें आंदाेलन में शामिल हाेने का दावा करने वाले करीब 63 हजार लंबित आवेदनाें के चिन्हितीकरण का काम जल्द पूरा करने का लक्ष्य रखा था। आंदोलनकारी नेता काशीनाथ केवट नें कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा जारी संकल्प पर काम अभी नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान आयोग में शामिल लोगों नें आंदोलनकारियों को चिन्हित करने में बहुत तत्परता नहीं दिखाई और इसके उलट आंदोलनकारियों को चिन्हित करने में भारी भेदभाव किया गया है, इसलिए आयोग को पुनर्गठन कर अच्छॆ व इमानदार लोगों को उसमें स्थान दिया जाय। कहा कि आयोग का कार्यकाल तबतक रखा जाय जबतक कि अलग झारखंड आंदोलन के सभी आंदोलनकारियों का चिन्हितिकरन का कार्य पूरा नहीं कर लिया जाता। उन्होंने यह भी मांग किया है कि आवेदकों के हजारों लंबित आवेदन फॉर्म आयोग कार्यालय में वर्षों से पड़ा हुआ है, उन्हें रद्दी की टोकरी में फेंकने के बजाय जांचकर आंदोलनकारी के रूप में चिन्हित किया जाय।

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