रायबरेली के पूर्व पुलिस अधीक्षक द्वारा मीडिया कर्मियों को सहूलिया देने के लिए
“पुलिस मीडिया रायबरेली” करके एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था। जिसमे जनपद के विभिन्न विभिन्न थाना क्षेत्र में होने वाले गुड वर्क के फोटो वीडियो घटनाओं पर बयान मीडिया सेल द्वारा डाला जाता था। जिससे सभी पत्रकारों को अपने संस्थानों में खबर भेजने में सहूलियत मिले लेकिन कुछ वर्षों बाद इसे ओनली एडमिन कर दिया गया, क्योंकि खबरों को लेकर पुलिस और पत्रकारों में काफी नोक झोंक भी ग्रुप मैं हो जाती थी। जिसके लिए पुलिस ने अपनी मनमानी और तानाशाही करते हुए इसे ओनली एडमिन कर दिया गया। जिसके संचालक रायबरेली के पुलिस अधीक्षक मीडिया सेल बने हुए हैं, लेकिन वर्तमान पुलिस अधीक्षक की सरलता पर मीडिया सेल में तैनात पुलिस भारी पड़ रही है। ग्रुप का नाम ऑफिशल मीडिया ग्रुप रायबरेली किया गया, जिसमें पुलिस थानों से आने वाले विभिन्न प्रकार के मामलों की कुछ असली और कुछ फर्जी खबरें प्रेस नोट के माध्यम से भेजी जा रही हैं। जिसमें कुछ लोगों द्वारा पुलिस की भेजी गई गलत जानकारी को सही खबरों में परिवर्तित कर छापती हैं। लेकिन यह पुलिस की मीडिया सेल को नागवार गुजरता हैं। पुलिस केवल अपनी वाह वाही लूटने के लिए प्रेस नोट में वही जिक्र करती है, जो वह चाहती है। लेकिन बीते कुछ महीनो से मीडिया सेल रायबरेली पुलिस बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप से अब तक सैकड़ो लोगों को दफ्तर में बैठे-बैठे ही रिमूव कर रही है। क्योंकि पुलिस को यह नहीं पता है, कि कौन असली पत्रकार है कौन नकली पत्रकार है। कौन मान्यता प्राप्त है। कौन किस संस्थान से जुड़ा है। किसी से कुछ भी पूछने की जरूरत ना समझ कर सीधा उसे तानाशाही रवैया अपना कर रिमूव कर दिया जा रहा है । यह वही लोग हैं। जिनके खुद के आईडेंटिफाई का पता ना हो वह पत्रकारों को आईडेंटिफाई करते है। मीडिया सेल की इस करतूत से पत्रकारों में रोज व्याप्त है।

वही घटनाओं के खुलासा के समय, छोटा सा मैसेज डालकर पत्रकारों को नौकरों की तरह बुलाने वाली मीडिया सेल पुलिस एक समोसा और एक लड्डू पर ही अपने झूठे गुड वर्क को छपवा लेती है। अगर रायबरेली के पत्रकारों में जरा से भी शर्म हैं। इसका विरोध करें या तो ग्रुप को खत्म किया जाए या तो मीडिया सेल पुलिस को चार्ज कर, इसका ज्ञान बढ़ाया जाए अगर रायबरेली के जिलाधिकारी कार्यालय के सूचना विभाग से पुलिस मीडिया से जानकारी प्राप्त करें तो असली और नकली का पता चल सकता है। लेकिन यहां तो जब दफ्तर पर बैठकर ही मनमानी करनी है तो कौन पता करने जाएगा। बीते एक माह से सैकड़ो लोगों को अब तक निकल जा चुका है, जिसके स्क्रीनशॉट भी इस खबर के माध्यम से आपको दिखाया जा रहे हैं।
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