मोदी सरकार के खिलाफ एआईसीसीटीयू (एक्टू) ने कथारा मोड़ पर पुतला दहन किया। यह विरोध प्रदर्शन मोदी सरकार द्वारा 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर मजदूरों को गुलाम बनाने वाले 4 श्रम कोडों और आईपीसी-सीआरपीसी-एविडेंस एक्ट में बदलाव के खिलाफ, लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने और पूंजीपतियों के हित में बदलाव लाने के उद्देश्य से किए गए हैं। पुतला दहन से पहले एक्टू के कार्यकर्ता कृष्ण चेतना क्लब से जुलूस बनाकर कथारा मोड़ तक नारा लगाते हुए आए और नुक्कड़ सभा आयोजित की। सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार लगातार मजदूरों, किसानों और बेरोजगारों के साथ अन्याय कर रही है। तीसरे कार्यकाल में मुश्किल से सत्ता में आने के बाद भी मोदी सरकार अपनी जनविरोधी नीतियों को लागू करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। वक्ताओं ने कहा कि अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी जी ने तानाशाही प्रदर्शित करते हुए विपक्षी दलों के सांसदों को सदन से बाहर कर बहुत सारे कानूनों को एक दिन में पास करा लिया था, जिसके खतरनाक नतीजे सामने आ रहे हैं। इसके तहत मजदूरों का आंदोलन और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनता का प्रतिरोध गैरकानूनी हो गया है। किसी मजदूर के खिलाफ चार्जशीट होने पर भी उसके ग्रेच्युटी और पीएफ को जब्त किया जा सकता है। नये बजट में वेजबोर्ड का कोई प्रावधान नहीं है, पुराने पेंशन नीति को लागू करने की कोई योजना नहीं है, पढ़े-लिखे इंजीनियरों को कॉरपोरेट घरानों के यहाँ अप्रेंटिस के नाम पर मात्र 5000 रुपये के स्टाइपेंड पर काम करने पर मजबूर होना पड़ेगा. नौकरी या उच्चतर शिक्षा के लिए होने वाले परीक्षाओं में लगातार हो रहे पेपर लीक के मामलों पर रोक लगाने की कोई चर्चा नहीं है। किसानों की जमीन जबर्दस्ती ले ली जाएगी, मुआवजे के लिए आवाज उठाने का मतलब गैरकानूनी हरकत होगी, जिसके लिए जेल भेजा जाएगा। सभा में वक्ताओं ने यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश और बिहार को बड़ी राशि का आबंटन चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को समर्थन के बदले घूस के रूप में दी गई है, लेकिन आदिवासी बहुल राज्य झारखंड को ठेंगा दिखा दिया गया है। यहां तक कि बकाया पैसा भी नहीं दिया जा रहा है। कुल मिलाकर जनता को कॉरपोरेट घरानों के गुलाम बनाने की साजिश रची जा रही है, इसलिए अपनी जान बचाने के लिए मजबूत संघर्ष की ओर बढ़ना होगा। सभा में विकास कुमार सिंह, अध्यक्ष एआईसीसीटीयू, बालेश्वर गोप, उपाध्यक्ष, भुनेश्वर केवट, सचिव, नारायण केवट, वाजिद हुसैन, अजय रविदास, बालगोविंद मंडल, छत्रू यादव, जगदीश राम, मुश्ताक अंसारी, बसंत घासी, मनोरंजन प्रसाद गुप्ता मुखिया जी, राजदेव चौहान, डीके मिस्त्री, हरिशंकर जी, सुरेन्द्र घासी, नूर मुहम्मद सहित अन्य लोग उपस्थित थे।