रिपोर्ट : नासिफ खान
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने धार कलेक्टर, तत्कालीन धार जिला पंचायत सीईओ और वर्तमान में रतलाम जिला पंचायत सीईओ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। दरअसल, रोजगार सहायक को नौकरी से हटाने और हाईकोर्ट का ऑर्डर नहीं मानना धार कलेक्टर प्रियांक मिश्र और तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ श्रृंगार श्रीवास्तव को भारी पड़ गया। वर्तमान धार कलेक्टर प्रियांक मिश्रा और तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ श्रृंगार श्रीवास्तव जो फिलहाल रतलाम जिला पंचायत सीईओ के पद पर पदस्थ है, उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के दिए एक आदेश का पालन नही किया. ऐसे में कोर्ट ने दोनों अधिकारियों का गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
रोजगार सहायक को हटाना पड़ा महंगा
पूरा मामला 25 फरवरी 2017 का बताया जा रहा है जहां ग्राम पंचायत नालछा के रोजगार सहायक के बीमार होने पर वह ड्यूटी पर उपस्थित नही हुआ, जिस पर जिला पंचायत सीईओ ओर कलेक्टर ने बिना जांच और बिना उसकी बात सुने उसे नौकरी से हटा दिया था। याचिकाकर्ता के वकील प्रसन्ना भटनागर ने बताया कि याचिकाकर्ता मिथुन चौहान ग्राम पंचायत नालछा जिला धार में ग्राम रोजगार सहायक के पद पर पदस्थ था। 25 फरवरी 2017 को स्वास्थ खराब होने के कारण वह एक दिन कार्य पर उपस्थित नहीं हो सका। एक दिन की अनुपस्थिति को कदाचरण बताते हुए बिना जांच किए और बिना सुनवाई का अवसर दिए उसे पद से हटा दिया गया था।
रोजगार सहायक ने आयुक्त इंदौर से की थी अपील
नौकरी से हटाए जाने के आदेश को चुनौती देते हुए ग्राम रोजगार सहायक मिथुन चौहान ने आयुक्त इंदौर को अपील प्रस्तुत की थी, लेकिन उसकी अपील भी निरस्त कर दी गई। इसके बाद उसने 2019 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में रिट याचिका प्रस्तुत की, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए 22 अगस्त 2023 को उसकी सेवा समाप्ति के आदेश को निरस्त कर दिया था। इसके साथ ही यह आदेश भी दिया गया कि ग्राम रोजगार सहायक को 50 प्रतिशत पिछले वेतन सहित वापस नौकरी पर रखा जाए।
हाई कोर्ट के आदेश का नहीं हुआ पालन
हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शासन के द्वारा अपील प्रस्तुत की गई थी, लेकिन 3 जुलाई 2024 को यह अपील भी निरस्त हो गई थी। अपील निरस्त होने के बाद भी अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया, तो याचिकाकर्ता मिथुन की ओर से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका प्रस्तुत की, जिसमें दिनांक 20 सितंबर 2024 को शासन को यह निर्देश दिए कि वह आदेश का पालन करें, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया।
हाईकोर्ट के आदेश पर भी पेश नहीं हुए अधिकारी
हाईकोर्ट इंदौर की खंडपीठ ने धार कलेक्टर प्रियांक मिश्रा और तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ श्रृंगार श्रीवास्तव सहित नालछा जनपद सीईओ को 4 अक्टूबर 2024 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहने का आदेश भी दिया था, लेकिन बेलगाम अफसरशाही पर हाईकोर्ट के आदेश का कोई असर नही हुआ। हाईकोर्ट की अवमानना करते हुए आदेश का पालन नहीं किया गया और न अधिकारी हाईकोर्ट में उपस्थित रहे। इसके चलते उच्च न्यायालय द्वारा धार कलेक्टर प्रियांक मिश्रा और तत्कालीन सीईओ जिला पंचायत श्रृंगार श्रीवास्तव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर आगामी 23 अक्टूबर को हाई कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया है।
गंभीर रूप से बीमार हुआ था याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता मिथुन चौहान ने बताया कि दिनांक 21 फरवरी 2017 को उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था। वह इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नालछा गया था, जहां से उसे 108 एम्बुलेंस से जिला भोज अस्पताल धार रेफर कर दिया गया था। जहां वह भर्ती था, इस वजह से मात्र एक दिन ड्यूटी पर उपस्थित नही हो पाया, जिसके चलते उसकी सेवा समाप्त कर दी गई। उन्होंने बताया, “मुझे सुनवाई के अवसर भी नहीं दिया। मैंने कई बार जिला पंचायत धार के चक्कर लगाए लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई। आयुक्त इंदौर में अपील भी की, लेकिन अपील खारिज कर दी गई. तब मैंने हाईकोर्ट इंदौर में याचिका लगाई, लेकिन आज तक मुझे नौकरी पर नहीं रखा गया, इस पर अवमानना याचिका दायर की है, जिसकी अगली सुनाई 23 अक्टूबर नियत की गई है.”