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Sharda Sinha Death : पद्मभूषण और पद्मश्री से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, PM Modi, नीतीश कुमार ने जताया गहरा शोक

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बिहार की जानी-मानी भोजपुरी गायिका शारदा सिन्हा का देर रात एम्स में निधन हो गया, वह 72 वर्ष की थीं। सिन्हा काफी समय से बल्ड कैंसर से जूझ रही थीं। उनका जाना संगीत जगत के लिए, खासकर भोजपुरी संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।

72 वर्षीय शारदा सिन्हा 2018 से मल्टीपल मायलोमा, एक प्रकार के रक्त कैंसर से जूझ रही थी। सोमवार को उनकी हालत और बिगड़ गई, जिसके कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है और छठ पर्व पर उनके सुमधुर संगीत का खास जिक्र किया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शारदा सिन्हा के निधन पर गहर शोक व्यक्त किया है। कुमार के कार्यालय ने एक शोक पत्र सोशल मीडिया पर साझा किया है।

प्रधानमंत्री ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति!”

वहीं इससे पहले आज सुबह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके परिवार से बात करके हर तरह की मदद का भरोसा दिया था।

नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा को बताया बिहार की कोकिला

बिहार के सीएम नीतीश कुमार के कार्यालय से ने एक शोक पत्र साझा कर उन्हें बिहार की कोकिला (कोयल के स्वर वाली) कहा है।

पत्र के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार कोकिला, पद्म श्री एवं पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।

पत्र के अनुसार, “मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि बिहार कोकिला शारदा सिन्हा मशहूर लोक गायिका थीं। उन्होंने मैथिली, बज्जिका, भोजपुरी के अलावे हिन्दी गीत भी गाये थे। उन्होंने कई हिन्दी फिल्मों में भी अपनी मधुर आवाज दी थी। संगीत जगत में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया था। स्व० शारदा सिन्हा के छठ महापर्व पर सुरीली आवाज में गाए मधुर गाने बिहार और उत्तर प्रदेश समेत देश के सभी भागों में गूंजा करते हैं। उनके निधन से संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है.”

पत्र के अनुसार, “मुख्यमंत्री ने स्व० शारदा सिन्हा की आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों, प्रशंसकों एवं अनुयाइयों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.”

पीएम मोदी ने फोनकर परिवार से जाना था हाल-चाल दिया था मदद का भरोसा

उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने सोशल मीडिया और मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से अपडेट साझा करते हुए प्रशंसकों को अपनी मां के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी थी।

अंशुमान ने कन्फर्म किया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें निजी तैर से उनकी मां के इलाज के लिए सभी आवश्यक मदद का भरोसा दिया था। लोक गायिका के स्वास्थ्य में गिरावट ने उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों के बीच व्यापक चिंता पैदा कर दी थी।

बिहार के पारंपरिक लोक संगीत और अपने प्रतिष्ठित छठ गीत में उनके योगदान के लिए जानी जाने वाली शारदा सिन्हा को इस क्षेत्र की सांस्कृतिक एम्बस्डेर माना जाता था। वर्षों से, उनकी आवाज़ छठ त्यौहार का पर्याय बन गई है, जिसे बिहार और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में व्यापक रूप से मनाया जाता है।

एम्स में भर्ती सिन्हा की हालत आज सुबह से ही थी गंभीर

शारदा सिन्हा की हालत आज सुबह से ही गंभीर थी। वह एम्स में भर्ती थीं और उन्हें वेंटिलर पर ले जाया गया था।

एम्स की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में सुबह कहा गया था, गायिका “हार्मोडायनामिक रूप से स्थिर हैं, लेकिन लगातार निगरानी में हैं.”

उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने सोशल मीडिया और मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से अपडेट साझा करते हुए प्रशंसकों को अपनी मां के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी है.

हिंदी फिल्म में गाया, पद्मश्री और पद्मभूषण राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया

सिन्हा का शानदार करियर 1970 के दशक में शुरू हुआ और उन्होंने भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत में अपने काम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की थी।

​​’हम आपके हैं कौन..!’ के ‘बाबुल’ जैसे उनके प्रसिद्ध गीतों ने उन्हें न केवल प्रसिद्धि दिलाई, बल्कि आलोचनात्मक प्रशंसा भी दिलाई। 2018 में, उन्हें कला में उनके योगदान के लिए भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार, प्रतिष्ठित पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इससे पहले उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता है, जिससे क्षेत्रीय सिनेमा में सबसे अगली पंक्ति की आवाज़ों में से एक के रूप में उनकी विरासत है।

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