पद्म विभूषण छठ गीतों की रानी श्रीमती शारदा सिन्हा जी अब हमारे बीच नहीं रही और वह भी ऐसे अवसर पर जब घर-घर में उनके स्वास्थ्य की कामना के साथ उनके गीत गूंज रहे हैं। यह खबर खासकर मेरे लिए बेहद ही दुखद है क्योंकि बचपन से छठ महापर्व पर उनके गीतों को सुनती और अपने कार्यक्रमों में गाती आ रही हूं। छठ महापर्व से उनके गीतों का जो तार सूर्य भगवान की उपासना के लिए जुड़ता है। वह शायद ही किसी गायक और गायिका के गीतों से जुड़ता हो, उनकी आवाज और उनके गीतों में साक्षात भगवान के दर्शन होते हैं, यह हम सब ने महसूस किया है। आज चाहे हजारों गीत और हजारों गायक छठ गीतों को गा रहे हैं पर शारदा सिन्हा जी का स्थान छठ गीतों के लिए कोई भी नहीं ले सकता मुझे तो लगता है कि शायद उनका जन्म छठ महापर्व और सूर्य की उपासना के लिए ही हुआ था। वह अंत समय तक छठ गीत गाती रही और आज तक अपनी आवाज और अपनी खासियत को कायम रखा मैं सौभाग्यशाली हूं कि उन्हें रांची के मयूरी हाल में सामने से गाते हुए सुना है और उनका आशीर्वाद भी लेने का मौका मिला है।
छठ गीतों के अलावा शादी विवाह के वैवाहिक भोजपुरी गीत भी एक से बढ़कर एक उन्होंने गया है। यह भी एक इत्तेफाक है के छठ के पहले दिन ही छठी मैया ने उन्हें अपने पास बुला लिया। उन्होंने जो गीत गा दिया है वह अमर रहेंगे, उनके गीत अंतकाल तक भारतवर्ष में गूंजते रहेंगे, उन्हें मेरा सत सत नमन