दिल्ली के वासियों ने प्रशासन से राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर नियंत्रण करने का अपील करते हुए दीर्घकालिक समाधान की मांग की। दिवाली के बाद दूसरे सप्ताह भी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘बहुत खराब’ स्तर में बना हुआ है और तो कई इलाकों में 400 पार कर गया है, जिसकारण लोगों का दम घुटने लगा है।
मंगलवार की सुबह धुंध से शहर के कई हिस्से ढंकी हुए थी और शहर के कई निवासियों ने प्रदूषण होती वायु में बीच सांस लेने में कठिनाई की शिकायत भी की है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, आज सुबह 8 बजे तक दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 355 दर्ज किया गया, जिसे ‘बहुत खराब’ स्तर में रखा गया।
पराली जलाने को बताया जिम्मेदार
दिल्ली के निवासियों ने कहा कि सरकार सिर्फ पटाखों पर ध्यान देती है, लेकिन इसके पीछे ये मुख्य कारण नहीं हैं। मुख्य कारण आस-पास के राज्यों में पराली जलाना है। हम सुविधाओं के लिए सरकार को टैक्स देते हैं, लेकिन हमें इसे भी ठीक करना होगा, सरकार को प्रदूषण पर लगाम लगाने की जरूरत है।
सफर इंडिया ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों की दर्ज की AQI स्तर
सफर इंडिया के अनुसार अशोक विहार में एक्यूआई 390, द्वारका सेक्टर 8 में 367, डीटीयू में 366, जहांगिरीपुरी में 417, लोधी रोड में 313, मुंडका में 404, नजफगढ़ में 355, नरेला में 356 दर्ज किया गया।
सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार आनंद विहार इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ स्तर में पहुंच गया। आनंद विहार में AQI 403, प्रतापगंज में 371, पूसा में 320, आरकेपुरम में 365, रोहिणी में 415, शादीपुर में 359 और विवेक विहार में 385 AQI दर्ज किया गया।
200 से 300 के बीच AQI को “खराब”, 301 से 400 के बीच “बहुत खराब”, 401-450 के बीच “गंभीर” और 450 और इससे ऊपर को “गंभीर प्लस” AQI माना जाता है।
सबको प्रदूषण मुक्त वातारण में रहने का हक : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का हक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है और कोई भी धर्म प्रदूषण पैदा करने वाली किसी भी गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता है।
दिवाली के दौरान दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध को लागू करने में नाकाम रहने के लिए अधिकारियों से सवाल करते हुए जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने पटाखे जलाने पर उठाया सवाल।
पीठ ने कहा, कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित किया गया है। प्रथमदृष्टया, हमारा मानना है कि कोई भी धर्म ऐसी किसी भी गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता है, जो प्रदूषण पैदा करती है या लोगों के स्वास्थ्य से समझौता करती है। अगर इस तरह से पटाखे जलाए जाते हैं, तो यह नागरिकों के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार को भी प्रभावित करता है।