गुरु घासीदास बाबा ने समाज में एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया
रिपोर्ट : अविनाश कुमार
फुसरो नगर परिषद के शारदा कॉलोनी स्थित मंदिर प्रांगण में बाबा गुरु घासीदास का जयंती धूमधाम से विधिवत पूजा अर्चना के साथ मनाया गया। पूजा में जजमान के रूप में पुजारी भोला भारती, इंदर बाबा, नीलू राम, रोहित जोहले शामिल थे। आयोजक भोला भारती और चांद शरद लाल ने बताया कि बाबा गुरु घासीदास का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गिरौद नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम मंहगू दास तथा माता का नाम अमरौतिन था। उनकी धर्मपत्नी का नाम सफुरा था। भाजपा नेता प्रकाश कुमार सिंह ने बताया कि गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआ-छूत, ऊंच-नीच, झूठ-कपट का बोलबाला था। बाबा ने ऐसे समय में समाज में एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया। घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा। गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी।उन्होंने न सिर्फ सत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा के कार्य में किया। इसी प्रभाव के चलते लाखों लोग बाबा के अनुयायी हो गए। फिर इसी तरह छत्तीसगढ़ में ‘सतनाम पंथ’ की स्थापना हुई। बताया गया कि इस संप्रदाय के लोग उन्हें अवतारी पुरुष के रूप में मानते हैं। गुरु घासीदास के मुख्य रचनाओं में उनके सात वचन सतनाम पंथ के ‘सप्त सिद्धांत’ के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इसलिए सतनाम पंथ का संस्थापक भी गुरु घासीदास को ही माना जाता है। कहा गया कि बेरमो में लगातार 44 वर्षों से गुरुदास घासी बाबा दास जयंती मनाया जा रहा है इसकी शुरुआत बोकारो जिला के बेरमो चार नंबर रहिवासी दिवंगत गुलाब सिंह सरदार ने किया था। मौके पर प्रहलाद राम निखिल, पिताबर, फूल कुमार फुटे, जागेश्वर चौहान, महेश राम, योगेश प्रसाद रात्रे, मोहन बीपी, केशव साहू, मोहनलाल रात्रे, भूमि भारती, प्रेम भारती, कमला देवी, खुशी भारती, नंदनी कुमारी, निलू भारती, कुमेनदर कुमार, सानू रात्रे सहित सैकड़ो महिला-पुरुष उपस्थित थे।