रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को चौका देने वाला बयान दिया है। पुतिन ने कहा कि अगर उनके अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप को 2020 में चुनाव हारे नहीं होते तो यूक्रेन में युद्ध टाला जा सकता था। वर्ष 2022 फरवरी में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के अपने फैसले को संकट बताते हुए रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने सरकारी मीडिया से बात करते हुए कहा कि ट्रंप के राष्ट्रपति रहते रूस और यूक्रेन का युद्ध नहीं हो सकता था। पुतिन ने 24 जनवरी को कहा कि अगर अमेरिका के लोगों ने 2020 में डोनाल्ड ट्रंप से जीत न छीनी होती तो यूक्रेन युद्ध को काफीमायने में टाला जा सकता था। पुतिन ने मीडिया से बातचीत में अपनी बात साझा करते हुए कहा कि फरवरी 2022 में रूस का यूक्रेन पर हमला एक संकट ही था। जिसे ट्रंप की अध्यक्षता के दौरान होने से रोका जा सकता था। उन्होंने कहा “अगर 2020 में ट्रंप की जीत जाते तो शायद 2022 का ये संकट पूरी दुनियां के साथ–साथ रूस, युक्रेन को नहीं देखना पड़ता।
डोनाल्ड ट्रंप के कसीदे पढ़ते हुए नजर आए पुतिन
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप के कसीदे पढ़ते हुए उन्हें “स्मार्ट और व्यवहारिक व्यक्ति” कह डाला। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका में जो बाइनड की जगह ट्रंप सत्ता में होते तो वे अमेरिका के साथ मिलकर युद्ध खत्म के लिए बातचीत की संभावना होती। पुतिन ने साथ ये भी कहा कि रूस हमेशा से यूक्रेन के मुद्दे पर समझौते के लिए तैयार था। उन्होंने बताया कि “हमने हमेशा यह कह हैं कि हम यूक्रेन मुद्दे पर बातचीत करने के लिए तैयार हैं.”

रूसी विदेश मंत्री ने कीव सरकार को बताया “अवैध शासन”
हम आप को बताते चले कि पुतिन के इस बयान से रूस के ही विदेश मंत्रालय के हालिया बयान से मेल खाए हुए नजर नहीं आ रहा है। रूसी विदेश मंत्रालय ने पश्चिमी देशों की ओर से यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की निंदा की थी. इसी कड़ी में कीव सरकार को “अवैध शासन” भी कह दिया था।
बयान कुछ इस प्रकार था…
रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से बयान में कहा गया “शांति वार्ता की बातों के बावजूद भी पश्चिम और कीव की ओर से किसी भी प्रकार की वास्तविक तैयारी देखने को नहीं मिल रही है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जिलेस्की ने पुतिन-ट्रंप वार्ता को खारिज किया…
वोलोडिमिर जेलेंस्की के कार्यालय की ओर से दिए गए बयान में पुतिन-ट्रंप वार्ता को खारिज करते हुए कहा कि, बिना किसी यूरोपीय प्रतिनिधियों की भागीदारी के बिना किसी भी प्रकार की शांति वार्ता हमें संभव नहीं नजर आ रही है। जेलेंस्की के कार्यालय की ओर से कहा गया है कि, अगर युद्ध समाप्ति चाहिए, तो इसके लिए व्यापक भागीदारी होना भी जरूरी है।