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सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफ़े के बाद .. मणिपुर में लागू हुआ राष्ट्रपति शासन

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पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पिछले साल मई से हो रही हिंसक झड़पों के चलते. बड़े तौर पर अशांति फैल रही थी, जब कुकी समुदाय की ओर से ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला जा रहा था. ये मार्च चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके से निकल रहा था. ये मार्च मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाला जा रहा । इन्हीं सब मुद्दों के चलते , 9 फरवरी को सीएम बीरेन सिंह ने दिया था, इसके परिणाम स्वरूप मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है. इससे पहले 9 फरवरी को राज्य के सीएम बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था. ये इस्तीफा उन्होंने राज्य में चली आ रही जातीय हिंसा के करीब दो साल बाद दिया था.

आपको बताते चले कि, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है. इससे पहले 9 फरवरी को ही, राज्य के सीएम बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इस्तीफा राज्य में चली आ रही जातीय हिंसा के तकरीबन दो साल बाद दिया है. इस मामले के साथ ही उनकी अन्य मुद्दों को लेकर राज्य में आलोचना हो रही थी. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद से ही, लोगों में चर्चा थी, कि राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है.ठीक वैसा ही हुआ. अब मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है।

10 फरवरी से शुरू होना था विधानसभा सत्र

10 फरवरी से मणिपुर विधानसभा का सत्र शुरू होना था. हालांकि, सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद इसे विधानसभा सत्र चालू होने से पहले ही,स्थगित करने का आदेश जारी किया गया. ये सब उस वक्त हुआ जब कांग्रेस विधानसभा सत्र में बीरेन सिंह के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन लाने की तैयारी में थी. हालांकि, अब तमाम सियासी उठापटक के मनसूबों पर विराम लग गया है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है ,

अब क्या असर पड़ेगा ?

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है, उस राज्य की शासन प्रशासन की व्यवस्था में कई प्रकार के बदलाव हो जाते हैं. उस राज्य का प्रशासन पूर्यरूप से राष्ट्रपति के कंट्रोल में आ जाता है. राष्ट्रपति अपने प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल को प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी देते हैं जो कि राज्यपाल केंद्र के निर्देशों के आधार पर शासन करता है।

आखिर राज्य के कानूनों पर क्या असर पड़ता है?

आमतौर देखा जाए तो, राज्यों की विधानसभा कानून बनाती हैं. मगर, जब राष्ट्रपति शासन लागू हो जता है. इस प्रकार की स्थिति में राज्य के कानून संसद बनाती है. अगर संसद का सत्र न चल रहा हो तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है. राष्ट्रपति शासन अधिकतम 6 महीने के लिए लागू किया जाता है. हालांकि, जरूरत होने पर इसे 3 साल तक के लिए बढ़ाया भी जा सकता है. इसके लिए संसद की अनुमति जरूरी होती है।

क्यों लगाया जाता है , राष्ट्रपति शासन?

किसी भी राज्य या देश में राष्ट्रपति शासन उस स्थिती में लागू किया जाता है जब कोई राज्यया देश सरकार संविधान के प्रावधानों के पालन में असमर्थ रहे. अगर देखा जाए तो कानून-व्यवस्था फेल होने की स्थिति पर भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है. इसके साथ ही सरकार के अल्पमत में होने की स्थिर हो , कोई भी राजनीतिक पार्टी सरकार बन पाने पर असमर्थ होने की वजह पर भी राष्ट्रपति शासन किया जाता है. इसके अलावा भ्रष्टाचार, विद्रोह, आपदा या अन्य कारणों से सरकार के फेल होने पर राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।

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