रायबरेली शहर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत हाथी पार्क चौराहे के समीप स्थित आज चल रहे अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन के छठवें दिन 9 मार्च को बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर प्रतिमा स्थल पर महाबोधि महाविहार बोधगया मंदिर को अबौद्धों से मुक्त कराए जाने एंव बीटीएमसी एक्ट 1949को रदद कर पूर्ण रूप से बौद्धों को सौंपे जाने को लेकर रायबरेली में 4 मार्च 2025 से भिक्षु संघ के नेतृत्व में चल रहे अनिश्चित कालीन क्रमिक अनशन के छठवें दिन बौद्ध अनुयाइयों एंव संघ के पदाधिकारियों ने भिक्षु विमल बोधि को समर्थन कर रोष व्यक्त करते हुए उक्त मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम का जिला प्रशासन को सम्बोधित मांग पत्र सौंपा ज्ञापन।
अंबेडकर प्रतिमा के स्थल पर क्रमिक अनशन की अध्यक्षता कर रहे संघ के अध्यक्ष डी डी कुशवाहा एंव संचालन बौद्धाचार्य एस.एन. मानव ने किया। संघ का आरोप है कि हिंदू बहुल समिति बौद्धों को उनके अधिकारों से वंचित कर रही है, साथ ही यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त इस विश्व धरोहर के मूल स्वरूप को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
ज्ञापन देते हुए राजेश कुरील ने कहा कि जब हिंदू मंदिरों में ब्राह्मण, मस्जिद में मौलवी, चर्च में पादरी और गुरुद्वारे में ग्रंथी होते हैं, तो महाबोधि महाविहार का पुजारी भिक्षु क्यों नहीं हो सकता। बौद्ध अनुयाई रामेश्वर सिंह मौर्य, राजेन्द्र मौर्य, सतीश मौर्य, राम बहादुर मौर्य, डी एन, जगदीश शर्मा, अशोक कुमार, राम सनेही मौर्य, राधेश्याम मौर्य, सन्त लाल, कृपा शंकर, डी के मौर्य, राम संजीवन, डाo जे के भारत, राजेश मौर्य, कमल कुमार, रवि कुमार, बनवारी कुशवाहा, भगवान दीन, छोटे लाल, रावत आदि दर्जनों बुद्ध अनुयायियों ने राष्ट्रपति से मांग की है कि इस असंवैधानिक अधिनियम को निरस्त किया जाए, साथ ही महाबोधि मंदिर का पूरा प्रशासनिक नियंत्रण बौद्ध समुदाय को सौंपा जाए। उनका कहना है कि मौजूदा व्यवस्था धार्मिक स्वतंत्रता और संस्थानों के स्वायत्त प्रबंधन में बाधा उत्पन्न करती है।