- झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा एवं झारखंड राज्य विस्थापन संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर लिया गया बड़ा निर्णय
रिपोर्ट : मोहन कुमार
झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा द्वारा झारखंड आंदोलनकारियों के राजकीय मान-सम्मान, अलग पहचान पुत्र- पुत्रियों के रोजी-रोजगार एवं नियोजन की गारंटी तथा जेल जाने की बाध्यता समाप्त करते हुए सभी आंदोलनकारियों को समान रूप से सम्मान पेंशन 50-50 हजार रु, स्वास्थ्य, आवास एवं यात्रा सुविधा सरकार से देने व भू अर्जन अधिनियम के तहत विस्थापितों को पुनर्वास मुआवजा एवं नियोजन , झारखंड आंदोलनकारी कल्याण बोर्ड एवं झारखंड राज्य विस्थापन आयोग का गठन करने की मांग को लेकर विधानसभा का विशाल घेराव प्रदर्शन में भाग लेने का निर्णय लिया गया। विधानसभा का घेराव कार्यक्रम प्रातः 11:00 बजे बिरसा मुंडा चौक स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात झारखंड विधानसभा को घेराव करने के लिए कूच करेंगे। मंगलवार को झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा एवं झारखंड राज्य विस्थापन संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में रांची के डोरंडा भवानीपुर स्थित कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उक्त बातें कही गई। संवाददाता सम्मेलन में पूर्व सांसद व अध्यक्ष भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संस्थापक प्रधान सचिव पुष्कर महतो, कार्यकारी अध्यक्ष जितेंद्र सिंह कुशवाहा, कोषाध्यक्ष सरोजिनी कच्छप, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल की अध्यक्ष रोजलीन तिर्की, विस्थापित मोर्चा की महासचिव डॉ. वासवी किंडो, खतियानी परिवार के मो. हकीम, भूमि बचाओ आंदोलन के नेता अर्जुन कुमार, झारखंड आंदोलनकारी बटेश्वर मेहता प्रमुख रूप से शामिल रहे। मौके पर पूर्व सांसद भुनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि राज्य सरकार विस्थापन आयोग का गठन कर अपना वादा निभाए साथ ही राज्य में कोई विस्थापित ना हो इसकी गारंटी सरकार दे। झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संस्थापक एवं प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड आंदोलनकारियों के स्वाभिमान की रक्षा करें। आंदोलनकारियों व विस्थापितों ने झारखंड के आन, बान शान की लड़ाई लड़कर राज्य लिया है, लेकिन हमारी पहचान नहीं हुई है, यह दुर्भाग्य है। आदिम जनजाति की तरह आंदोलनकारी प्रतिदिन विलुप्त होते जा रहे हैं, गिने- चुने आंदोलनकारी आज बचे हैं। सरकार आंदोलनकारियों के प्रति संवेदनशील एवं गंभीर बने. भूख और दुख से आंदोलनकारियों को सरकार मरने ना दे।

उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों का अस्मिता खतरे में है। जल-जंगल, जमीन, खनिज संपदा, पहचान व अस्तित्व की रक्षा के लिए सरकार ठोस कदम उठाए अन्यथा आंदोलनकारी एक हुल के लिए बाध्य होंगे। झारखंड आंदोलनकारी अपने अधिकारों की रक्षा की लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे। रोजलिन तिर्की ने कहा कि आंदोलनकारी अपनी पहचान को मिटने ना दें। संघर्ष से हमारी पहचान है और संघर्ष के बल पर ही बदलाव लाएंगे मान-सम्मान अलग पहचान और सम्मान पेंशन लेकर ही रहेंगे। डॉ. वासवी किंडो ने कहा कि विस्थापितों की लड़ाई झारखंड के अस्तित्व और अस्मिता की लड़ाई है। सरकार विस्थापितों को संरक्षण दे। कोषाध्यक्ष सरोजनी कच्छप ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के मूल्य को सरकार स्थापित कर हम झारखंड आंदोलनकारियों का स्वाभिमान बढ़ाएं। कार्यकारी अध्यक्ष जितेंद्र सिंह कुशवाहा ने कहा कि झारखंड अलग राज्य संघर्ष करते हुए हमारे लोगों ने शहादत दिया आज अपने मान-सम्मान पहचान के लिए एक और आंदोलन करना पड़ रहा है, यह दुर्भाग्य है। 24 मार्च को विधानसभा घेराव ऐतिहासिक होगा।