News Nation Bharat
मध्य प्रदेशराज्य

MP में शिक्षकों की भारी कमी! हजारों पद खाली, MPPSC फिर शुरू करेगा भर्ती

WhatsApp Image 2024-08-09 at 12.15.19 PM

क्या आप जानते हैं कि मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों में हजारों असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली पड़े हैं? प्रदेश की उच्च शिक्षा प्रणाली इस समय गंभीर संकट में है, जहां शिक्षक नहीं, वहां शिक्षा कैसे होगी? क्या MPPSC अब इन पदों पर भर्ती करेगा या फिर युवाओं का भविष्य अंधकार में रहेगा? इस खबर में जानिए, कैसे सरकारी उदासीनता के चलते शिक्षा व्यवस्था ढह रही है और छात्रों का भविष्य अधर में लटका है!

मध्यप्रदेश के 17 प्रमुख विश्वविद्यालयों में 1946 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से केवल 316 पर ही नियुक्तियां हुई हैं! यानी 1630 पद अब भी खाली पड़े हैं। यह केवल विश्वविद्यालयों तक सीमित नहीं है, बल्कि इनसे संबद्ध कॉलेजों में भी शिक्षकों की भारी कमी है। उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार, प्रदेश में सहायक प्रोफेसरों के 11,000 पद खाली हैं, जिससे कई महत्वपूर्ण कोर्स ठप पड़ गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठा रही है?

प्रदेश के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षक न होने के कारण आधुनिक कोर्सेज में छात्रों की रुचि खत्म होती जा रही है। संगीत, भौतिकी से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), वेब एंड ग्राफिक्स डिजाइन और बी-वॉक रिन्यूएबल एनर्जी जैसे कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या नगण्य हो गई है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई कोर्सेज में सिर्फ 5 या उससे भी कम छात्र हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट शिक्षकों की कमी और प्लेसमेंट की खराब स्थिति के कारण उत्पन्न हुआ है।

प्रदेश में हाल ही में पांच नए विश्वविद्यालय खोले गए हैं, जिनमें शिक्षा सुधार की उम्मीद थी। लेकिन रानी अवंतीबाई लोधी, राजा शंकर शाह, छत्रसाल बुंदेलखंड, टंट्या भील और तात्या टोपे विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 140-140 पद स्वीकृत होने के बावजूद अब तक कोई नियुक्ति नहीं हुई है। इस प्रकार, छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना तो दूर, सरकार इन विश्वविद्यालयों के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना तक नहीं जुटा पाई है।

हालांकि, 27 फरवरी से MPPSC ने 2117 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन क्या यह पर्याप्त होगी? जानकारों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में रिक्त पदों की तुलना में यह बेहद कम है। जब तक बाकी रिक्तियों को भरा नहीं जाता, तब तक प्रदेश की उच्च शिक्षा प्रणाली संकट से बाहर नहीं आ सकती। कई कॉलेजों में जरूरी कोर्स जैसे डिप्लोमा इन वेब एंड ग्राफिक्स डिजाइन, पीजी डिप्लोमा इन एआई एंड मशीन लर्निंग, और बी-वॉक रिन्यूएबल एनर्जी कोर्सेज छात्रों की अनुपस्थिति के कारण बंद होने की कगार पर हैं।

मध्यप्रदेश की शिक्षा प्रणाली इस समय वेंटिलेटर पर है। शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों का भविष्य अंधकार में जा रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या सरकार केवल नई भर्तियों की घोषणाओं तक सीमित रहेगी, या फिर असल में इन पदों को भरने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी? क्या MPPSC शेष पदों पर भी जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा? क्या प्रदेश की सरकार इस संकट को गंभीरता से लेगी या फिर शिक्षा व्यवस्था इसी तरह चरमराती रहेगी? अब वक्त है जवाब मांगने का, क्योंकि जब गुरु ही नहीं होंगे, तो ज्ञान कैसे मिलेगा?

Related posts

रायबरेली : पंचायत भवन बना अय्याशी का अड्डा

News Desk

रायबरेली में बढ़ी चोरियों की वारदात, ग्रामीणों ने खुद उठाया सुरक्षा का जिम्मा, लाठी-डंडे लेकर रात में करते हैं गश्त

News Desk

आदिवासी और प्रकृति एक दूसरे के प्रतीक हैं : योगेन्द्र

Manisha Kumari

Leave a Comment