रिपोर्ट : मोहन कुमार
झारखंड में प्रकति पर्व सरहुल को धूमधाम से मनाया जा रहा है. सोमवार शाम को जल रखाई पूजा होगी. अगले दिन 1 अप्रैल को देवी-देवताओं, प्रकृति और पूर्वजों की पूजा के बाद शोभा यात्रा निकालने की कवायद शुरु होगी। आदिवासी समाज के लोग सरहुल को नववर्ष के आगमन के रुप में मनाते हैं। इस दिन से तमाम शुभ कार्य शुरु हो जाते है।इसी निमित्त सोमवार को रांची के हरमू मौजा अंतर्गत सभी टोला के माता-पिता, भाई-बहन मौजा के पाहन बाहा तिग्गा की अगुवाई में देशावली सरना स्थल में सरहुल पूजा पूरे विधि-विधान के साथ मनाया गया। जहां सखुवा वृक्ष व सरना झंडा के नीचे पूजा पूजा किया गया। इसके लिए एक दिन पूर्व से ही पूरे ग्रामवासी उपवास में रहे तथा पाहन के द्वारा घड़ा में पानी सरना में रखा गया।

पूजा के पश्चात घड़े के पानी को देखकर इस वर्ष की वर्षा का पूर्वानुमान लगाया गया। इसी पवित्र जल से पाहन बाबा को नहलाया गया। कई तरह के नए फल एवं फूल को सरना में चढ़ाया गया इसके बाद अब इसका सेवन किया जाएगा। सबों ने सरना मां और धर्मेस सिंगबोंगा से प्रार्थना किया कि जिस तरह प्रकृति पुराने पत्तों को छोड़कर नए पत्ते, फल फुल से खुद को नया और सुन्दर कर लेता है। इससे दृश्य मनोरम हो जाता है उसी तरह हम भी अब प्रकृति की तरह खुद को नए, सुन्दर व साकारात्मक विचारों से सजाएंगे और नये वर्ष की अच्छी शुरूआत करेंगे।

आदिवासी जीवन शैली से संबंधित झांकी तैयार की जा रही है जिसे शोभायात्रा में शामिल किया जाएगा। पूजा कार्यक्रम में मुख्य रूप से राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा के प्रदेश अध्यक्ष रवि तिग्गा, गुलाबचन्द बाड़ा, दशरथ बेक, प्रेम खलखो, करमा तिर्की, अर्जुन तिर्की, उषा पूर्ति, नन्दू तिग्गा, विक्की कच्छप, सुमन गाड़ी, सलोनी गाड़ी, मालती तिग्गा, पूनम मिंज, अंजना टोप्पो सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।