ब्यूरो रिपोर्ट : शिवा मौर्या
रायबरेली जिला प्रशासन व विभाग बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों की मनमानी के चलते जिले के प्राइवेट स्कूलों में किताबों की मनमानी कीमत बुक डिपो द्वारा जमकर वसूली जा रही है। जिस पर जिला प्रशासन कोई शिकंजा नहीं कस रहा है। वहीं अभिभावकों की जेब ढीली हो रही है जिससे अभिभावको में रोष व्याप्त है।
जानकारी अनुसार बता दे की रायबरेली शहर समेत जनपद के अन्य तहसील क्षेत्र के अंतर्गत स्थित निजी विद्यालयों के टेंडर लेने वाले बुक डिपो संचालकों द्वारा निजी प्रकाशकों की किताबें 10 गुना महंगे दामों पर बेची जा रही हैं, जिन पर 70 से 80 प्रतिशत तक का कमीशन शामिल होता है। स्कूल प्रबंधन की यह नीति अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ डाल रही है।
हैरान करने वाली बात यह है कि इन किताबों पर बासी कागज यानी (ब्राउन कवर) चढ़ाने का निर्देश दिया जाता है। ताकि साल भर किताबों में पड़ी हुई कीमत छिपी रहे और अभिभावकों को इसकी जानकारी न हो सके। इस तरह स्कूल अपनी मर्जी से किताबें बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि बाजार में उपलब्ध सामान्य किताबों के बजाय स्कूल अपनी तयशुदा दुकानों से महंगी किताबें खरीदने के लिए बाध्य करते हैं। अगर कोई भी अभिभावक दूसरे दुकानों से किताब व काव्य खरीदना है तो उसे विद्यालय प्रबंधन स्वीकार करता है और उसी दुकान से लाने के लिए बाध्य करता है। अभिवावकों द्वारा प्रशासन से इस मनमानी पर सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है, ताकि शिक्षा को व्यापार बनाने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जा सके।