रिपोर्ट : नासिफ खान
इंदौर में एक बार फिर वही हुआ, जिसका अंदेशा था। जिला जेल के कर्मचारियों ने एक पत्र लिखर जाँच करने की बात लिखी। जाँच किसने की, इसका कोई उल्लेख नहीं है। मुख्यमंत्री को भेजे गये पत्र में जेल के दोषी कर्मचारियों ने एक मनमानी कहानी (फर्जी) तरीके से लिखकर अपने आप को बचाना चाह रहा है, सारा आरोप विचाराधीन कैदी अनस खान पिता असगर के सिर मढ़ दिया।अपने लिखे पत्र में कहा है कि 24 मार्च 2025 को रमजान माह के दौरान बंद अनस खान ने जेल के वार्ड क्रमांक 6 के बैरक क्रमांक 4 में बंद कैदी सलमान पिता सलीम तथा असलम पिता मुश्ताक के साथ मारपीट की। असलम ने मुश्ताक से विवाद कर उसके सिर में थाली से वार कर दिया तथा सलीम पर इंट और पत्थरों से हमला कर दिया। वहीं अन्य कैदियों के सहयोग से अनस को नियंत्रित किया गया। साप्ताहिक परेड के दौरान जेल अधीक्षक द्वारा उसे समझाया गया। उस दौरान अनस ने जेल अधीक्षक के साथ भी बदतमिजी की। सभी मारपीट करने वाले कैदियों के खिलाफ धारा 264 के तहत कार्यवाही करते हुए दो सप्ताह की मुलाकात से वंचिचत करने का दंड किया गया। मारपीट में घायल अनस खान जिसने अपने गुप्तांग पर आइ चोट की शिकायत की थी, उसका ईलाज जेल चिकित्सक से करवाया गया मगर गंभीर चोट आने की वज़ह से अनस को एम. वाय. अस्पताल में भर्ती कर इलाज करवाया गया। CM हेल्प लाइन में की गई शिकायत जो अनस के परिजनों ने खुद अनस के दिए बयानों पर की है। अनस खुद एक हॉस्पिटल में लिक्विड पेपर पर लिख कर दिया कि मुझे मारने वाला जेल डिप्टी जेलर मनोज जैसवाल, मुख्य रूप से जिम्मेदार है, मगर बड़े ही शातीराना तरीके से पत्र के जवाब में लिखा है कि अनस खान एक शातिर अपराधी है। जेल में कैदियों के साथ की गई मारपीट में वह घायल हुआ है। उस के साथ जेल कर्मी ने ज्यादती नहीं की और न ही उसके साथ जेल कर्मियों ने मारपीट की अनस के परिजनों द्वारा जनसुनवाई किया तथा सी.एम. हेल्प लाईन में की गई शिकायत झूठी है। वास्तविकता यह है कि 24 मार्च को डिप्टी जेलर मनोज जैसवाल, बड़ा राहुल तथा उषा बघेल ने अनस खान के साथ बेरहमी से मारपीट की थी। उसके गुप्तांग पर भी चोट पहुँचाई थी।

जब उसकी हालत में सुधार नहीं आया तब उसे एम. वाय. अस्पताल में भर्ती कराया, वह आज भी अस्पताल में अपना ईलाज करवा रहा है। आपको को बता दे की जेल का डिप्टी जेलर मनोज जैसवाल ही सी.एम. हेल्पलाईन का कामकाज देखता है। इससे यही साबित होता है, कहीं मनोज जैसवाल ही ने तो यह कहानी फर्जी से लिखकर सी.एम. हेल्पलाईन पर भेज दी तथा स्वयं और अन्य जेल कर्मियों को निर्दोष बता कर बचा रहा हैं। यह पहली बार नहीं हुआ। ऐसी घटनाएएं जेल में अनेकों बार हुई और होती ही रही है, मगर हर बार की तरह इस बार भी हुई इस घटना को फर्जी कहानी के माध्यम से रफा-दफा कर दिया गया।