रिपोर्ट : मोहन कुमार
सरला बिरला पब्लिक स्कूल, रांची में आयोजित छह दिवसीय आवासीय ग्रीष्मकालीन शिविर ‘एक्स्ट्रावैगेंजा 2025‘ का समापन बेहद उत्साहपूर्ण और रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ हुआ। यह शिविर विद्यार्थियों के लिए रचनात्मकता, मनोरंजन और सीख से भरपूर था। इस शिविर में बच्चों ने रोबोटिक्स, नृत्य और कला जैसी गतिविधियों में भाग लिया और आनंद के साथ-साथ नई बातें सीखीं। खगोल विज्ञान पर एक जानकारीपूर्ण कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिससे बच्चों को अंतरिक्ष और ब्रह्मांड के बारे में रोचक जानकारियाँ प्राप्त हुईं। उन्हें मिट्टी के बर्तन बनाने का कौशल सिखाने के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई। इसके अलावा, रोबोटिक्स, योग, श्रमदान, खेल-कूद, जुम्बा, एरोबिक्स, टैलेंट हंट और डीजे नाइट जैसी अनेक रोमांचक गतिविधियाँ भी शिविर का हिस्सा रहीं, जिनमें बच्चों ने पूरे जोश और उत्साह से भाग लिया। इस शिविर की एक खास बात यह रही कि बच्चों ने मधुबनी पेंटिंग और दीवार पर चित्रांकन जैसी पारंपरिक कलाओं में भी हाथ आजमाया।

वहीं, धरती आबा बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित एक नृत्य-नाटिका – ‘उलगुलान’ प्रस्तुत की गई। यह नृत्य नाटिका कथक और छऊ नृत्य शैली का मिश्रण था। यह ग्रीष्मकालीन शिविर बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना और उनकी रचनात्मक ऊर्जा को सही दिशा देने का कार्य किया। छात्रों और उनके मार्गदर्शकों की मेहनत व समर्पण अत्यंत सराहनीय रहा। स्कूल की प्राचार्या परमजीत कौर ने बच्चों के सर्वांगीण विकास की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 21वीं सदी के बच्चों के लिए रचनात्मक सोच विकसित करना जरूरी है और ऐसे शिविर इस दिशा में अहम भूमिका निभाते हैं।