रायबरेली के श्री भवानी पेपर मिल,सदर तहसील क्षेत्र में आईटीआई के समीप स्थित, एक समय में क्षेत्र का महत्वपूर्ण औद्योकिगिक केंद्र थी। यह मिल 1982 में शुरू हुई थी और लगभग 950 कर्मचारियों के साथ संचालित होती थी, जो लखनऊ, प्रयागराज और कानपुर जैसे शहरों के लिए कागज का उत्पादन करती थी। हालांकि, 2015 में घाटे के कारण मिल बंद हो गई और इसका मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में चला गया। 2021 में वाराणसी के उद्यमी आर.के. चौधरी ने इसे 45.30 करोड़ रुपये में खरीद लिया, और 2023 में इसे फिर से शुरू करने की प्रक्रिया शुरू हुई। मिल के पुनर्स्थापना से पहले परिसर में लाखों पेड़ों की कटाई का दावा गंभीर है, लेकिन उपलब्ध स्रोतों में इसकी पुष्टि करने वाली कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती। में इस तरह के कार्यों में पारदर्शिता की कमी पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन हो सकता है और इसके लिए स्थानीय प्रशासन या वन विभाग से जांच की आवश्यकता है। कर्मचारियों का बकाया वेतन और धरना-प्रदर्शन : 2015 में मिल के बंद होने पर कर्मचारियों को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) दी गई थी और कुछ कर्मचारी रिटायर हो गए थे। बकाया वेतन को लेकर कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन की बात सही प्रतीत होती है, क्योंकि बंद होने के बाद कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई थी। हालांकि, उपलब्ध स्रोतों में 2023 में मिल के दोबारा शुरू होने के बाद हुए कई बार भुगतान को लेकर प्रदर्शन हुए कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी और सुनवाई न होने की स्थिति सामाजिक और श्रमिक अधिकारों के उल्लंघन का संकेत देती है।
मीडिया से दूरी और पारदर्शिता की कमी: मिल प्रबंधन द्वारा मीडिया से दूरी बनाए रखना गंभीर सवाल उठाता है। स्रोतों में इस बात का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है कि नए मालिक या प्रबंधन ने मीडिया से जानबूझकर दूरी बनाई। हालांकि और में मिल के पुनर्स्थापना की प्रक्रिया का सामान्य विवरण है, लेकिन कोई गहन मीडिया कवरेज या प्रबंधन के बयान नहीं मिलते। यह संकेत दे सकता है कि प्रबंधन ने पारदर्शिता से बचने की कोशिश की, जो संदेह को और गहरा करता है। आधे-अधूरे मानकों के साथ पुनर्स्थापना: मिल का पुनर्स्थापना 2023 में शुरू हुआ, लेकिन यह आधे-अधूरे मानकों के साथ हुआ। के अनुसार, नए मालिक ने 2021 में कमान संभाली और पूजन-अर्चन के बाद परिसमापक ने स्वामित्व प्रमाण पत्र सौंपा। लेकिन पर्यावरणीय, श्रमिक, या संचालन संबंधी मानकों के अनुपालन पर कोई विस्तृत जानकारी नहीं है। यह संभव है कि पुनर्स्थापना में जल्दबाजी की गई हो, जिससे मानक पूरे नहीं हुए।
निष्कर्ष और सुझाव
पेड़ों की कटाई : इसकी जांच के लिए स्थानीय वन विभाग या पर्यावरण मंत्रालय से संपर्क किया जा सकता है। सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मिल परिसर में पेड़ों की कटाई से संबंधित दस्तावेज मांगे जा सकते हैं। कर्मचारियों के मुद्दे:बकाया वेतन और श्रमिक अधिकारों के लिए कर्मचारियों को स्थानीय श्रम आयुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज करानी चाहिए, साथ ही, सामूहिक रूप से कानूनी सहायता लेने पर विचार किया जा सकता है। मीडिया और पारदर्शिता: प्रबंधन की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय पत्रकारों या नागरिक संगठनों को इस मामले को उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
आधे-अधूरे मानक : मिल के संचालन की अनुमतियों और पर्यावरणीय मंजूरी की स्थिति की जांच के लिए स्थानीय प्रशासन या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संपर्क किया जा सकता है। यदि आपके पास इस मामले से संबंधित कोई विशिष्ट दस्तावेज, तारीख, या अन्य जानकारी है, तो उसे साझा करने से अधिक सटीक और विस्तृत जवाब दिया जा सकता है, साथ ही, यदि आप चाहें तो इस मुद्दे को गहराई से जांचने के लिए स्थानीय प्रशासनिक चैनलों या RTI का उपयोग करने की प्रक्रिया के बारे में और मार्गदर्शन दे सकता हूं।