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मजदूरी के नाम पर मरे मवेशियों की खाल और हड्डी अलग करने की कुर्ताप्रथा आज भी जारी क्यों?

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आजादी के बाद भी देश में शोषण जातियों के आधार पर होता है। इस बात की कई बार सामाजिक दबंग के द्वारा पुष्टि की जा चुकी है। लालगंज के एक क्षेत्र में ऐसी ही कुप्रथा देखने को मिला, जहां मरे हुए जानवरों की हड्डी और खाल को हाथों से अलग करते देखा गया। यह मामला रायबरेली जिले के लालगंज थाना क्षेत्र के बहाई ग्राम सभा का है। जहां पर मरे हुए मवेशियों की खाल को निकलते हुए कुछ लोगों को देखा क्या इस संबंध में बजरंग दल के जिला संयोजक पंकज मिश्रा ने जिलाधिकारी को एक लिखित ज्ञापन भेजा है। जिसमें उन्होंने जिक्र किया है, कि आजादी के इतने साल बाद भी अनुसूचित जाति के लोगों को ऐसे विशेष वर्ग के ठेकेदार जो साजिश करके यह काम करवाते हैं।

बजरंग दल के जिला संयोजक पंकज मिश्रा ने लिखित पत्र में जिलाधिकारी से कहा है, कि अनुसूचित जाति के लोगों को धन का लालच देकर इस तरह के कृत कराया जा रहा है और किसी प्रकार की कोई सुरक्षा किट भी नहीं दी जा रही है। पंकज मिश्रा ने लिखित पत्र में दावा किया है, की विशेष वर्ग के ठेकेदार खुद को बचाने के लिए अनुसूचित जाति के मजदूरों से इस तरह के कार्य करवा रहे हैं।

इस मामले में कुछ वीडियो भी वायरल हो रहे हैं, जिसमें देखा जा सकता है, कि करते हुए गोवंश का कल और हड्डी हटाई जा रही है। इन सब के पीछे वह विशेष वर्ग के ठेकेदार हैं, जो अपने मृत को छुपाने के लिए अनुसूचित जाति के लोगों के ऊपर दबाव बनाकर और पैसे का लालच देकर इसे का काम करवा रहे हैं। पंकज मिश्रा ने जिला अधिकारी से इस मामले में जांच करके संबंधित ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है l

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