NDA और UPA रहे एकजुट तो दिलचस्प होगा मुकाबला
झारखंड में एनडीए और यूपीए गठबंधन की एकजुटता पर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव के परिणाम देखने को मिल सकते हैं। हालांकि दोनों ही खेमों में जीत के दावे किए जा रहे हैं लेकिन आकड़ों पर गौर करने की जरुरत है।
जब 2019 में बीजेपी और आजसू मिलकर लड़ी थी लोकसभा के चुनाव में एनडीए की बात की जाए तो राज्य में लोकसभा के चुनाव में 2019 के चुनाव में भी आजसू और बीजेपी एक साथ मिलकर चुनाव लड़े थे। इसके कारण 14 में से 12 सीटों पर उनका कब्जा रहा। जबकि इसी साल हुए झारखंड विधानसभा के चुनाव में बीजेपी और आजसू पार्टी अलग होकर चुनावी मैदान में दिखाई पड़े थे।
नतीजा सामने था कि बेहतर वोट प्रतिशत के बाद भी एनडीए सरकार बनाने में सफल नहीं हो पाई। 2019 के लोकसभा के चुनाव में झारखंड में एनडीए को 56 प्रतिशत मत मिले थे। जबकि यूपीए को 34.58 प्रतिशत मत मिले थे। लेकिन विधानसभा के चुनाव में दोनों के अलग-अलग चुनाव लड़ने का खामियाजा एनडीए को भुगतना पड़ा और यूपीए ने राज्य में सरकार बनाई।
2019 के विधानसभा के चुनाव में झारखंड में बीजेपी को 33.37 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि आजसू को 8.10 प्रतिशत वोट पड़े थे। जेवीएम जिसका विलय अब बीजेपी में हुआ है, उसे 5.45 प्रतिशत वोट मिले थे। तीनों को जोड़कर देखा जाए तो एनडीए के पास 46.92 प्रतिशत वोट दिखाई पड़ रहे हैं।
इधर यूपीए की बात की जाए तो जेएमएम को 18.72 प्रतिशत, कांग्रेस को 13.8 प्रतिशत आरजेडी को 2.75 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। तीनों को जोड़ने पर 35.23 प्रतिशत वोट होते हैं। यही कारण रहा कि झारखंड विधानसभा के 2019 में हुए चुनाव में यूपीए गठबंधन सरकार बनाने में सफल रही।
झारखंड़ में एनडीए गठबंधन में आजसू की भूमिका को लेकर अब समीकरण बनते-बिगड़ते नजर आने लगे हैं। बीजेपी और आजसू के नेता इस बात को लेकर आश्वस्त हैं, कि इस बार किसी तरह की चूक नहीं होगी और झारखंड में लोकसभा के साथ साथ विधानसभा के चुनाव में भी बहुमत के साथ एनडीए मजबूती के साथ खड़ी रहेगी।
इधर यूपीए के नेताओं ने उदाहरण देते हुए कहा है कि झारखंड जैसे राज्य में जनता पर छोड़ देने की जरुरत है। सत्ता की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने कहा है कि वर्तमान हालात में एनडीए को यूपी पूरी तरह से धूल चटाने का काम करेगी।
झारखंड जैसे राज्य में जहां राजनीतिक अस्थिरता का माहौल हमेशा से दिखाई पड़ता रहा है। ऐसे में एनडीए और यूपीए दोनों की तरफ से दावे किए जा रहे हैं कि इस बार के चुनाव में उनकी स्थिति मजबूत है। लेकिन अगर वोट प्रतिशत के आंकड़ों और आपसी तालमेल पर गौर किया जाए, तो शायद समीकरण बनते-बिगड़ते नजर आएंगे। अब सवाल यह है कि क्या एनडीए और यूपीए में शामिल पार्टियां चुनावी दौर तक एकजुट रह पाएंगी या बिखराव देखने को मिलेगा। ऐसे में झारखंड में चुनावी परिणाम में उथल-पुथल भी देखने को मिल सकती है।