प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि आज आपको एक हक़ीक़त सुनाता हूं। बात ज्यादा पुरानी नहीं है। विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके थे। झूठ और बेरोजगारी के “मामा” अपनी कुर्सी को सुरक्षित मानकर लोकसभा की तैयारी में जुट रहे थे। उधर दिल्ली दरबार में एक अलग ही अहंकार आकार ले रहा था। दबी जुबान चर्चा थी कि तानाशाह के तरकश में एक नया तीर रखा जा रहा था। लेकिन, भ्रम यह जरूर था कि निशाना कौन है?
पटवारी ने कहा कि चर्चाओं ने जब हकीकत का रूप लिया, तो मध्यप्रदेश की राजनीति में सत्ता का साकेत एक नए समीकरण के साथ सामने आ गया। वह भी इस तरह की छोटे से लेकर बड़े मियां, सभी बुरी तरह चौंक गए! चौक-चौराहे से लेकर नए पुराने भाजपा नेताओं को चौंकाने वाला यह नाम था – डॉ. मोहन यादव! सवाल यह था कि मंत्री से मुख्यमंत्री बनने का यह रास्ता आखिर कैसे तय हो गया? कौन था मददगार? आज भी कहा जाता है कि उज्जैन से निकलकर भोपाल पहुंचे वर्तमान मुख्यमंत्री को खुद अपनी ताजपोशी का अंदाज नहीं था। तभी नामालूम से पंक्ति में बैठकर फोटोग्राफी देख रहे थे। तभी किस्मत चमक गई।
पटवारी ने कहा कि मध्यप्रदेश की सियासत में यह जबरदस्त धमाका तब हुआ, जब दिल्ली से आई एक “पर्ची” को विधायकों के सामने खोला गया। अब यह बताने की जरूरत नहीं है कि “पर्ची” किसने और क्यों भेजी थी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार पहली बार एक पर्ची मुख्यमंत्री से मध्यप्रदेश रूबरू हुआ। पहली बार ही जनता को भी पता चला कि लोकतंत्र में “पर्ची” की ताकत कितनी होती है। बहरहाल, “पर्ची” के साथ आई शक्ति ने काम शुरू किया। एक बार फिर जनता को उम्मीद थी कि “पर्ची” विकास की नई परिभाषा लिखेगी। अधूरे सपनों को पूरे संकल्प के साथ जोड़ेगी! लेकिन, “पर्ची” ने कब, कहां, क्यों, कैसे – जैसे सवालों से केवल “क” को अपनी कहानियों का मुख्य किरदार बनाया और फिर वह दे दिया जिसकी जनता को उम्मीद नहीं थी।
- कर्ज
- क्राइम
- करप्शन
पटवारी ने कहा कि अब पर्ची मुख्यमंत्री की पहचान इन्हीं 03 “क” से हो रही है। उन्हें कर्ज, क्राइम, करप्शन का काका कहा जा रहा है। 10 दिन, 30 दिन, 60 दिन के बाद अब 100 दिन होने वाले हैं। लेकिन, प्रदेश की भाजपा सरकार 03 “क” को अपनी पूरी ताकत लगाकर जिंदा कर रही है।