मर्यादा, रिश्तों और समरसता की मिसाल हैं श्रीराम : यज्ञाचार्य हीरालाल शास्त्री
ढोरी बस्ती सौतारडीह में गणेश चतुर्थी के अवसर पर नौ दिवसीय रामचरित मानस महायज्ञ व 31वॉ वार्षिक गणेश मेला का तीसरे दिन शुक्रवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। कई श्रद्धालुओं ने 12 व 24 घंटे का क संकल्प लेकर यज्ञ मंडप की परिक्रमा की। यज्ञाचार्य हरिशरणम कुटीर बी देवघर के हीरालाल शास्त्री (वेदाचार्य) की देखरेख में पूरे विधि-विधान से धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हो रहे है। इसमें उपाचार्य पंकज शास्त्री, बेदाचार्य पवन शास्त्री, रामकिशोर पांडेय, आदित्य पांडेय, आशुतोष बाबा एवं मंदिर के पुजारी शिवशंकर पांडेय बतौर सहयोगी ने महायज्ञ में कई तरह के अनुष्ठान कराये और शाम में संध्या आरती की गयी। इस दौरान यज्ञाचार्य हीरा लाल शास्त्री ने हिन्दू धर्म में पशु, पक्षी, पेड़, नदी, पहाड़ आदि सारी प्रकृति के अंशों का समावेश कहा। कहा कि भगवान राम महज जन-जन की भावना नहीं हैं या फिर सिर्फ किसी एक धर्म को मानने वालों की आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि भगवान राम तो जीवन जीने का तरीका हैं। फिर चाहे वह रिश्ते निभाना हो, धर्म के मार्ग पर चलना हो या फिर अपने दिए वचन को पूर्ण करना हो। सिर्फ कहने में ही राम पुरुषोत्तम नहीं हैं बल्कि हर मायने में वह एक उत्तम और आदर्श पुरुष हैं। बताया कि भगवान श्रीराम ने एक आदर्श कायम किया। उनकी सादगी, सरलता, भाइयों के प्रति ऐसा प्रेम थी की राज्य नहीं लेना चाहते, एक दूसरे को गद्दी पर बिठाना चाहते हैं।