कस्तूरबा श्री विद्या निकेतन ढोरी में सीबीएसई के रिसोर्स परसन डॉ पूजा के द्वारा आचार्य जी एवं दीदी जी को प्रशिक्षण दिया गया। डॉ पूजा जी ने अपने ट्रेनिंग सत्र में कहां की प्रायोगिक ज्ञान जिसे अधिक विशेष रूप से परिभाषित किया जाता है। जिसमे “प्रतिबिंब द्वारा शिक्षा प्राप्त होता है”। प्रायोगिक ज्ञान दुहराव शिक्षा तथा प्रभोधक शिक्षा से काफ़ी अलग है, जिसमे शिष्य अपेक्षाकृत निष्क्रिय भूमिका निभाता है। ये सक्रिय अध्ययन जैसे अभिनय सीखना, साहसिक सीखने, स्वतंत्र चुनाव सीखने, सहकारी शिक्षा और सेवा करने के सात पढ़ना से सम्भन्धित ज़रूर है, लेकिन ये सब इसके पर्याय नही है।इस मौके पर धन्यवाद ज्ञापन एवं मंच संचालन करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य रण सुमन सिंह ने कहा कि प्रायोगिक ज्ञान का अक्सर इस्तेमाल अनुभवात्मक शिक्षा से किया जाता है। जिसे इसका पर्याय बी बोलते है, लेकिन अनुभवात्मक शिक्षा, शिक्षा का एक व्यापक दर्शन है और प्रायोगिक ज्ञान व्यक्तिगत सीखने की प्रक्रिया को समझता है।

इस मौके पर विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव धीरज कुमार पांडे ने अंगवस्त्र एवं पुष्प गुच्छ देकर मुख्य वक्ता डॉ पूजा जी को सम्मानित किया। इस मौके पर वंदना सत्र में कस्तूरबा संकुल के संयोजक अमित कुमार सिंह भी उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रशिक्षण में कुमार गौरव, प्रदीप कुमार महतो, संजू ठाकुर, बेबी कुमारी, विभा सिंह, प्रीति प्रेरणा सिंह, खुशबू कुमारी, शिवपूजन सोनी, वीणा कुमारी, जय गोविंद प्रमाणिक, ऋषिकेश तिवारी, नवनीत तिवारी, रेशमा खानम, दीपक कुमार, राजेंद्र पांडे, मंतोष प्रसाद, शैलेंद्र कुमार सिंह एवं अन्य आचार्य जी दीदी जी उपस्थित थे।