गुरूवार को करगली में विस्थापित संघर्ष समन्वय समिति की बैठक समिति के अध्यक्ष लखनलाल महतो की अध्यक्षता में संपन्न हुई। गत् दिनों राँची स्थित सीसीएल मुख्यालय में हुई वार्ता के कार्यवृत्त को पढ़कर सुनाया गया तदुपरांत समीक्षा की गई। नेताओं ने कहा कि प्रबंधन द्वारा विस्थापितों के साथ वार्ता समझौता तो किया जाता है लेकिन उसे लागु नहीं किया जाता है। कहा गया कि समिति के साथ हुए समझौते को लागु नहीं किया गया तो विस्थापितों का आक्रोश बढ़ेगा और प्रस्फुटित भी होगा। बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जिसमें समिति का विस्तार कोल इंडिया के सभी अनुषंगियों में करने और इसके निमित्त एक सेमिनार आहूत करने तथा विस्थापितों के लंबित मामलों का निष्पादन करने के लिए एकजूट संघर्ष संगठित करना शामिल है। नेताओं ने कहा कि देश में सबसे अधिक लोग कोयला खनन में विस्थापित हुए हैं और झारखंड बनने के 24 साल में भी विकास के नाम पर विस्थापन का सिलसिला थम ही नहीं रहा है। इसलिए समिति न केवल झारखंड में बल्कि दूसरे राज्यों में भी खनन से प्रभावित हुए विस्थापितों व उनके संगठनों को एकजूट करने की पहल करेगी। नेताओं ने कहा कि पुरानी परियोजनाओं के विस्तार में कई छोटे-बड़े उद्योग, डैम, खदानों आदि परियोजनाओं के कारण लाखों लोगों को विस्थापन की मार झेलनी पड़ी है। दुर्भाग्य है कि जमीन मालिकों को दिये गए मुआवजे, नौकरी और पुनर्वास का वादा भी सही ढंग से पूरा नहीं किया गया। मौके़ पर महासचिव काशीनाथ केवट, कार्यकारी अध्यक्ष काशीनाथ सिंह, बिनोद महतो, लालमोहन यादव, राजेश गुप्ता, लालमोहन महतो, चंदन राम, भागीरथ करमाली, मो जहाँगीर, विरेन्द्र सिंह, त्रिलोकी सिंह समेत अनेकों लोग शामिल थे।