सौमित्र खान ने कहा कि बिष्णुपुर में तृणमूल खत्म हो गई है। मैं बिष्णुपुर के लिए 2011 से काम कर रहा हूं। लोग मुझे 2006 से जानते हैं, जब मैंने अपना राजनीतिक कॅरिअर शुरू किया था। इस बार मेरी जीत का अंतर 3 लाख वोटों का होगा।
लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा भले न हुई हो, लेकिन कई सीटें ऐसी हैं, जहां बेहद दिलचस्प मुकाबले देखने को मिलेंगे। अब पश्चिम बंगाल को ही लीजिए। कहीं दो पूर्व अभिनेत्रियां आमने-सामने हैं, तो कहीं पर पूर्व पति-पत्नी के बीच जंग होनी है। बिष्णुपुर में वर्तमान भाजपा सांसद सौमित्र खान फिर से मैदान में हैं। तृणमूल ने यहीं पर उनकी पूर्व पत्नी सुजाता मंडल को टिकट देकर मुकाबले को रोचक बना दिया है।
सुजाता ने यह कहते हुए ताल ठोका है कि मैं बिष्णुपुर की बेटी हूं। यह मेरे लिए केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं है। यह अन्याय के खिलाफ है। मुझे पूरा भरोसा है कि बिष्णुपुर के लोग अपनी बेटी को संसद भवन पहुंचाएंगे। यहां के लिए मैं नई नहीं हूं। हर कोई मेरे बारे में जानता है। मैंने अपना सारा समय विष्णुपुर के लिए दिया है। विष्णुपुर से मेरा क्या रिश्ता है, वहां की हर गली और हर कूचे से पूछ सकते हैं। मैं कोशिश कर रही हूं कि यहां के लोगों के साथ खड़ी होऊं। गौरतलब है कि सुजाता भी पहले भाजपा में थीं। विधानसभा चुनाव में वह तृणमूल से जुड़ गई थीं। सुजाता ने कहा, केवल मैं ही नहीं, हर कोई हमारी पिछली कहानी के बारे में जानता है। अब मैं इस लड़ाई के लिए तैयार हूं। उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनावों में तृणमूल ने 22 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा को 18 सीटें हासिल हुई थीं।
सौमित्र खान ने कहा कि बिष्णुपुर में तृणमूल खत्म हो गई है। मैं बिष्णुपुर के लिए 2011 से काम कर रहा हूं। लोग मुझे 2006 से जानते हैं, जब मैंने अपना राजनीतिक कॅरिअर शुरू किया था। इस बार मेरी जीत का अंतर 3 लाख वोटों का होगा।
कभी घर-घर जाकर पति के लिए मांगा था वोट
एक समय था, जब सौमित्र व सुजाता एकसाथ प्रचार करते थे। सुजाता ने पिछले लोकसभा चुनाव में सौमित्र के लिए घर-घर जाकर वोट मांगा था, लेकिन अब समय बदल गया है। दोनों की राहें जुदा हो चुकी हैं। इस बार सौमित्र के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए वह वोट मांगेंगी। सुजाता को राजनीति में लाने का श्रेय सौमित्र को ही है। हालांकि सुजाता ने कड़ी मेहनत से पहचान बना ली है। हालांकि विधानसभा चुनाव में तृणमूल में शामिल होने के बाद उनके रिश्तों में खटास आ गई थी और दोनों अलग हो गए। आरामबाग सीट से वह विधानसभा चुनाव भी लड़ीं, मगर हार गईं थीं। ममता ने आम चुनाव में उन पर फिर भरोसा जताया है। वहीं, सौमित्र खान ने भाजपा में शामिल होने के लिए 2019 में तृणमूल छोड़ दी थी। उस समय उन्हें नौकरी के बदले नकदी और अवैध रेत खनन मामलों की जांच के दौरान जेल में भी डाला दिया गया था। चुनाव प्रचार के लिए बिष्णुपुर में जाने से भी रोका गया था। तब सुजाता ने उनके लिए चुनाव प्रचार किया था।