होली का त्योहार मुख्य रूप से वसंत ऋतु यानी कि वसंत की फसल के समय मनाया जाता है जो सर्दियों के अंत का प्रतीक भी माना होता है और हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने में मनाई जाती है। यह उत्सव फाल्गुन पूर्णिमा तिथि (जानें कब से शुरू हो रहा है होलाष्टक) (भद्रा रात 10:30 तक रहेगा, इसलिए भद्रा समाप्ति के बाद ही होलिका दहन किया जाना शुभ है। व्रत की पूर्णिमा 24 मार्च और स्नान दान पूर्णिमा 25 मार्च को रहेगी। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त सर्वार्थसिद्धि योग में रात 11:13 से 12:24 के बीच होगा और होलिका पूजन 24 मार्च को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट के बाद होगा। काशी में होली 25 मार्च को और अन्यत्र सभी स्थानों में 26 मार्च को होगी ) की शाम से ही शुरू हो जाता है और दो दिन तक मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हंसी -खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो अब विश्वभर में मनाया जाने लगा है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लोग इस दिन एक अग्नि जलाते हैं और भगवान विष्णु के लिए भक्त प्रहलाद की भक्ति की विजय का जश्न मनाते हैं। इस दिन लोग होलिका की पूजा भी करते हैं क्योंकि हिंदू पौराणिक कथाओं में यह माना जाता है कि होलिका पूजा सभी के घर में समृद्धि और धन लाती है। लोगों का मानना है कि होलिका पूजा करने के बाद वे सभी प्रकार के भय पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। होलिका दहन के अगले दिन को धुलेंडी कहा जाता है जिसमें अबीर-गुलाल इत्यादि डाला जाता है और दूसरों से सौहार्द्र जताया जाता है।