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रायबरेली : पत्रकारों द्वारा झोलाछाप डॉक्टर को संज्ञान लाने के बावजूद भी अभी तक नहीं हुई कार्यवाही

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परशदेपुर : योगी सरकार गरीबों के स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग है, जिसके लिए सरकारी अस्पताल में अत्यधिक तरीकों से मुफ्त इलाज किया जाता है। वही बात की जाए तो झोलाछाप एवं मानक वीहीन चल रहे नर्सिंग होम गरीबों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। उसके लिए योगी सरकार बहुत सख्त है और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है कि झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए । लेकिन पत्रकारों द्वारा स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को संज्ञान में लाने के बावजूद भी जांच का झुनझुना थमा दिया जाता है और किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जाता है। ऐसे ही मामले रायबरेली जिले में अनगिनत देखने को मिला जहां पर मरीजों को जान तक भी गवानी पड़ी ।

ऐसा ही मामला अभी करीब एक माह पहले प्रकाश में आया है कि डीह थाना क्षेत्र के अंतर्गत परशदेपुर में बिना किसी मान्यता प्राप्त डिग्री के गंभीर से गंभीर बीमारियों का ठीक करने का दावा किया जा रहा है। कस्बे में बाकायदा बोर्ड लगाकर एस एस स्थानीय स्वदेशी परिवार मेडिकेयर अस्पताल का डॉक्टर पीटीसी नामक डिग्री के आधार पर बाकायदा 3 से 4 स्टाफ के साथ आम जनमानस को गंभीर रोगों के इलाज का दावा कर रहा है और उनके जान से खिलवाड़ भी कर रहा है। अभी हाल ही में ही परशदेपुर में ओम गंगोत्री हॉस्पिटल में डॉक्टर की बड़ी लापरवाही से एक प्रसूता की ऑपरेशन के बाद महिला की मृत्यु हो जाती है। इसमें सबसे बड़ी लापरवाही डॉक्टर की मिलती है हालांकि मामला मीडिया द्वारा तूल पकड़ने पर जिले में बैठे आला अधिकारी की नींद टूटी है और अस्पताल सीज कर संबंधित तीन लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज की जाती है।

सबसे बड़ा सवाल है यह है कि वहीं पर झोलाछाप जो अपने आप को डॉक्टर रवि की उपाधि से संबोधित कर गंभीर बीमारियों का ठीक करने का दावा करता है और भोली भाली जनता के जान से खिलवाड़ भी कर रहा है। आला अधिकारियों को संज्ञान में लाने के बावजूद भी कब कार्यवाही किया जाएगा ? क्या यह जांच का झुनझुना किसी की जान जाने के बाद ही जांच की कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही कार्यवाही की प्रक्रिया पुरी की जाएगी ?

जबकि डीह सीएचसी अधीक्षक को डॉ रवि की डिग्री पर संदेह है तो तुरंत कार्यवाही करके क्लीनिक को बंद कर देना चाहिए जबकि डॉ रवि द्वारा उस क्लीनिक पर आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बती चिकित्सा पद्धति का बोर्ड लगाकर रजिस्ट्रेशन लगाकर बाकायदा मरीजों को एलोपैथिक पद्धति से इलाज किया जा रहा है। क्या ऐसा मुमकिन है ? यदि नहीं तो डॉक्टर जैसे भगवान पवित्र शब्द को बदनाम करने का हक किसने दिया। ऐसे लोग ही डॉक्टर को बदनाम करते हैं। ऐसे शख्स के ऊपर त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए। अब देखने वाली बात होगी कि जिस डिग्री के बारे में सीएचसी अधीक्षक को पता ही नहीं जो डॉक्टर के नाम को बदनाम करने वाले फर्जी झोलाछाप डॉक्टर के ऊपर कब और किस प्रकार से कार्यवाही करते हैं यह तो समय के गर्भ में है।

पत्रकारों द्वारा खबर चलाने के बावजूद भी झोलाछाप डॉक्टर रवि धड़ल्ले से मरीजों का इलाज कर रहा है। जब इस विषय पर एसीएमओ अरविंद कुमार एवं डीह सीएचसी अधीक्षक से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि मामला संज्ञान में है, जब समय मिलेगा तो कार्रवाई की जाएगी। सबसे बड़ा सवाल क्या यह जांच का झुनझुना आखिर कब तक बजेगा ? क्या किसी मरीज का जान जाने के बाद ही ?

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