डीवीसी चैयरमैन, सदस्य तकनीकी व सदस्य वित का बोकारो थर्मल दौरा

डीवीसी के चेयरमैन एस.सुरेश कुमार, सदस्य तकनीकी एम.रघुराम व सदस्य वित जॉॅन मथाई ने बुधवार को बोकारो थर्मल का दौरा किया। दौरे के क्रम में पांच सौ मेगावाट के ए प्लांट, प्रदूषण नियंत्रक प्लांट (एफजीटी), स्वीच यार्ड, कंट्रोल रूम का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद चेयरमैन व अन्य शीर्ष अधिकारियों ने स्थानीय अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक कर कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इसके बाद डीवीसी के स्थायी ऐश पौंड़ का निरीक्षण भी किए। बाद में निदेशक भवन में पत्रकारों से बात करते हुए चैयरमैन ने कहा कि डीवीसी एक परिवार है। बिजली उत्पादन के साथ-साथ ग्राहक भी बनाएगी। इसके लिए एकता और टीम भावना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का नवीकरणीय सौर ऊर्जा पर फोकस है और डीवीसी भी उसी में सम्मिलित होने कि दिशा में अग्रसर हैं। इसके तहत डीवीसी के सभी डैमों में फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाएगी। अपने खाली पड़ी जमीनों पर सोलर प्लांट लगाने की योजना बना रही है। सोलर और हाईडल पावर प्लांट के माध्यम से बिजली उत्पादन के क्षेत्र में काम करने जा रही है। स्थिति ठीक रही तो लुगू पहाड़ में पंद्रह सौ मेगावाट पंप स्टोरेज हाइडल प्लांट निर्माण किया जाऐगा। इसकी डीपीआर तैयार कर लिया गया है। पर्यावरण के नये मापदंड के तहत कोयला से सल्फर हटाने की प्रक्रिया के लिए चार सौ दस करोड़ रूपए की लागत से बनाए गए एफजीटी प्लांट का उदघाटन 3 या 6 फरवरी को ऑनलाइन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। निरीक्षण के दौरान एचओपी आनंद मोहन प्रसाद, महाप्रबंधक एसएन प्रसाद, सीजीएम राजेश कुमार, सुभाष सिंह, डीजीएम बीजी होलकर, चंचल मंडल, पीएम गोस्वामी,कार्यपालक निदेशक महेश कुमार, जीएम सुदीप भट्टाचार्य, सुबीर भद्र, डिप्टी कमांडेट बिरेन सेठी, बिहारी चौधरी, शाहिद अकरम आदि शामिल थे।

चेयरमैन से मिले विस्थापित

बोकारो थर्मल पहुंचे डीवीसी के चेयरमैन एस.सुरेश कुमार, सदस्य तकनीकी एम.रघुराम व सदस्य वित जॉॅन मथाई से स्थानीय जनप्रतिनिधि व विस्थापित जनप्रतिनिधि मिले और पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष भरत यादव, विस्थापित के जितेंद्र यादव, प्रफ्फुल ठाकुर, नरेश प्रजापति, श्रवण सिंह आदि शामिल थे। चैयरनमैन ने विस्थापित नेता जितेंद्र यादव को आश्वत किया है, कि बहुत जल्द पूर्नवासित गांव नयाबस्ती के ग्रामीणों को जमीन का पट्टा दिया जाऐगा। जमीन की पट्टा नहीं मिलने के कारण यहां के ग्रामीणों को शैक्षणिक कार्य सहित अन्य प्रमाण पत्र नहीं बनता है।

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