Elderly woman injured after roof collapses : रविवार सुबह राही ब्लॉक के भदोखर थाना क्षेत्र अंतर्गत पूरे झमई मजरे कनौली गांव में एक बेहद दर्दनाक हादसा हो गया। 63 वर्षीय बुजुर्ग महिला रामकुमारी, पत्नी स्वर्गीय छोटेलाल, अपने घर के बरामदे में सुबह की नींद ले रही थीं। तभी अचानक बरामदे की पुरानी और जर्जर छत ढह गई। मलबे के नीचे दब जाने से रामकुमारी गंभीर रूप से घायल हो गईं। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए सदमा है, बल्कि पूरे गांव को झकझोर गई है, जहां पुराने घरों की स्थिति लंबे समय से एक चिंता का विषय बनी हुई है।
हादसे का विवरण: सुबह की शांति टूटी तेज धमाके से/ Elderly Woman Injured After Roof Collapses

घटना रविवार सुबह करीब 6 बजे की बताई जा रही है। कनौली गांव के एक छोटे से कच्चे-पक्के मिश्रित घर में रहने वाली रामकुमारी अक्सर बरामदे में ही सोया करती थीं, क्योंकि उनका घर छोटा होने के कारण अंदर जगह कम पड़ जाती थी। ग्रामीणों के अनुसार, घर की छत कई वर्ष पुरानी थी और बारिश के मौसम में लगातार होने वाली मरम्मत के अभाव में वह कमजोर हो चुकी थी। अचानक हुई मोटी दरार के साथ छत का एक बड़ा हिस्सा गिर पड़ा, जिससे भारी मात्रा में मलबा बरामदे पर बिखर गया। रामकुमारी मलबे के नीचे पूरी तरह दब गईं, और उनकी चीखें सुबह की खामोशी को चीरती चली गईं।
तेज धमाके की आवाज सुनते ही आसपास के ग्रामीण दौड़ पड़े। रामकुमारी के घर के निकट रहने वाले कुछ युवाओं ने तुरंत मलबा हटाना शुरू किया। लगभग 15-20 मिनट की मशक्कत के बाद उन्हें रामकुमारी के दबे हुए शरीर का पता चला। ग्रामीणों ने हाथों से ईंट-पत्थर हटाए और उन्हें बाहर निकाला। उनकी हालत देखकर सभी स्तब्ध रह गए—सिर पर गहरी चोट, हाथ-पैर में फ्रैक्चर और पूरे शरीर पर गंभीर घाव। तत्काल एक ग्रामीण के पिकअप वाहन से उन्हें भदोखर के नजदीकी एक निजी अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया। वर्तमान में रामकुमारी वेंटिलेटर पर हैं, और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। चिकित्सकों का कहना है कि सिर की चोट और आंतरिक रक्तस्राव के कारण खतरा अभी बरकरार है।
परिवार की दयनीय स्थिति: आर्थिक कमजोरी ने बढ़ाई मुश्किलें
रामकुमारी के पति छोटेलाल की कुछ वर्ष पूर्व हृदयाघात से मौत हो चुकी है। उनके दो बेटे और एक बेटी हैं, जो गांव में ही मजदूरी करके गुजारा करते हैं। परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है—घर में बिजली-पानी की बुनियादी सुविधाएं भी सीमित हैं। हादसे के बाद परिवार के सदस्य सदमे में हैं। बड़ा बेटा रामू (नाम परिवर्तित) ने बताया, “मां अकेले ही घर संभालती थीं। छत की मरम्मत के लिए पैसे नहीं थे, सोचा था नवंबर के बाद मजदूरी से इंतजाम करेंगे। अब अस्पताल के खर्चे ने सब कुछ उलट-पुलट कर दिया है।” परिवार ने ग्राम पंचायत से सहायता की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं पहुंची है।
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि की पहल: सरकारी सहायता का वादा
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि बोध कुमार ने घटना की सूचना मिलते ही हल्का लेखपाल अमित सिंह को दे दी। उन्होंने स्थानीय पत्रकारों से बातचीत में कहा, “यह परिवार गांव का सबसे गरीब घरों में से एक है। हमने तहसीलदार और ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ) को भी सूचित कर दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना या मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें नया घर बनाने में मदद दिलाई जाएगी। साथ ही, चिकित्सा सहायता के लिए मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत कवरेज सुनिश्चित करेंगे।” कुमार ने गांव वालों से भी आर्थिक सहयोग की अपील की है। उन्होंने जोड़ा कि गांव में ऐसे 10-15 पुराने घर हैं, जिनकी छतें खतरनाक हालत में हैं। पंचायत जल्द ही एक सर्वे कराकर प्रशासन को रिपोर्ट सौंपेगी ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया: जांच के आदेश
रायबरेली जिला प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। भदोखर थाना प्रभारी ने बताया कि हादसे की जांच शुरू हो गई है। एक टीम मलबे का निरीक्षण कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि छत गिरने का कारण निर्माण की खराब गुणवत्ता था या रखरखाव की कमी। जिलाधिकारी ने अस्पताल प्रशासन से रामकुमारी की नियमित रिपोर्ट मांगी है और परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, जिले में चल रही ‘सुरक्षित आवास’ अभियान के तहत पुराने घरों की जांच तेज करने के आदेश जारी किए गए हैं।
व्यापक संदर्भ: ग्रामीण भारत में बढ़ते हादसे, सबक क्या?
उत्तर प्रदेश में इस तरह के हादसे कोई नई बात नहीं हैं। हाल के वर्षों में बारिश और पुरानी इमारतों के कारण कई ऐसी घटनाएं घटी हैं, जहां गरीब परिवारों को भारी नुकसान हुआ। उदाहरण के तौर पर, जून 2025 में हरियाणा के शाहाबाद में एक कच्चे मकान की छत गिरने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी, जबकि उनके पति गंभीर घायल हुए। इसी तरह, अगस्त 2024 में जालौन जिले में मां-बेटे की मौत हो गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पक्के घरों की कमी और मरम्मत के अभाव ने ऐसी त्रासदियों को जन्म दिया है। सरकार की ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ ने लाखों घर बनाए हैं, लेकिन अभी भी लाखों परिवारों को इंतजार है। रामकुमारी के इस हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर पर पूरी तरह लागू हो पा रही हैं?
कनौली गांव के ग्रामीणों ने रामकुमारी की सलामती की प्रार्थना की है। फिलहाल, सभी की निगाहें अस्पताल पर टिकी हैं। यदि कोई अपडेट आता है, तो हम आपको सूचित करेंगे। इस दुखद घटना पर जिला प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है ताकि कोई अन्य परिवार इस तरह का दर्द न झेले।