High Court Order : इंचार्ज हेडमास्टरों को मिलेगा हेडमास्टर के बराबर वेतन, प्रोमोशन से वंचित शिक्षकों के लिए साबित होगा वरदान

High Court Order : उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में वर्षों से प्रोमोशन का इंतजार कर रहे हजारों इंचार्ज हेडमास्टरों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक महत्वपूर्ण आदेश के बाद, इन शिक्षकों को अब नियमित हेडमास्टर के बराबर वेतन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। यह फैसला उन शिक्षकों के लिए वरदान साबित हो रहा है, जो अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं की उदासीनता के कारण प्रोमोशन से वंचित रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा है, जिससे राज्य सरकार को इसे लागू करने का निर्देश मिला है।

पृष्ठभूमि: वर्षों की लड़ाई और कोर्ट का हस्तक्षेप

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कई सहायक अध्यापक हेडमास्टर का पदभार संभाल रहे हैं, लेकिन उन्हें प्रोमोशन नहीं मिला है। ये शिक्षक पूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं, लेकिन वेतनमान सहायक अध्यापक का ही मिल रहा था। इस असमानता के खिलाफ कई शिक्षकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने मई 2025 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि “समान काम के लिए समान वेतन” का सिद्धांत लागू होना चाहिए। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि इंचार्ज हेडमास्टरों को हेडमास्टर के ग्रेड पे (4600 रुपये) के साथ पूरा वेतन दिया जाए, जो पहले 4200 रुपये पर सीमित था।

इस आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की, लेकिन 13 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि शिक्षकों की गरिमा और उनके योगदान को वेतन में प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए। इस फैसले से प्रभावित होने वाले शिक्षकों की संख्या हजारों में है, और उन्हें 31 दिसंबर 2014 से बकाया वेतन भी मिल सकता है।क्या है आदेश की मुख्य बातें?

  • वेतनमान में बदलाव : इंचार्ज हेडमास्टरों को अब 4200 रुपये के ग्रेड पे की जगह 4600 रुपये का ग्रेड पे मिलेगा। इससे उनका मासिक वेतन हेडमास्टर के बराबर हो जाएगा।
  • बकाया भुगतान : कोर्ट ने निर्देश दिया है कि प्रोमोशन की तारीख से बकाया राशि का भुगतान किया जाए। कुछ मामलों में यह 2014 से लागू होगा, जिससे शिक्षकों को लाखों रुपये का लाभ मिल सकता है।
  • सीनियरिटी लिस्ट : हाईकोर्ट ने हाल ही में (अक्टूबर 2025) इंचार्ज हेडमास्टरों की सीनियरिटी लिस्ट तलब की है, ताकि प्रोमोशन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा सके। कुशीनगर, झांसी, बरेली समेत कई जिलों के शिक्षकों की याचिकाओं पर यह आदेश दिया गया
  • केवल कोर्ट ऑर्डर वाले शिक्षक : बेसिक शिक्षा विभाग ने 15 अक्टूबर 2025 को स्पष्ट किया कि प्रोन्नत वेतनमान केवल उन शिक्षकों को मिलेगा, जिनके लिए कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है। सभी इंचार्ज को स्वतः लाभ नहीं मिलेगा

शिक्षकों पर प्रभाव: एक वरदान की तरह

यह आदेश उन शिक्षकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो वर्षों से प्रोमोशन की राह देख रहे थे। कई शिक्षक अधिकारियों की लापरवाही और राजनीतिक नेताओं की उदासीनता (जिन्हें ‘मुर्दा नेता’ कहा जा रहा है) के कारण वंचित रहे। पीलीभीत जिले में ही 57 इंचार्ज प्रधानाध्यापकों को कोर्ट से राहत मिली है।शिक्षक संघों ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा कि इससे शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा, जो अंततः शिक्षा की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।

एक प्रभावित शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम पूरे स्कूल की जिम्मेदारी संभालते हैं, लेकिन वेतन आधा मिलता था। अब न्याय मिला है, लेकिन बकाया कब मिलेगा, यह देखना बाकी है।

सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की प्रक्रिया

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट के आदेश को मानने की सैद्धांतिक सहमति जताई है। बेसिक शिक्षा विभाग ने सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के ऑफलाइन तबादलों के साथ-साथ इंचार्ज हेडमास्टरों के वेतन संबंधी आदेश जारी किए हैं।हालांकि, विभाग ने स्पष्ट किया कि सभी इंचार्ज को लाभ नहीं मिलेगा; केवल कोर्ट द्वारा नामित शिक्षकों को ही प्रोन्नत वेतनमान दिया जाएगा।

शिक्षक संघ अब सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस आदेश को सभी योग्य इंचार्ज हेडमास्टरों पर लागू किया जाए, न कि सिर्फ याचिकाकर्ताओं पर। यदि सरकार ने इसे ठीक से लागू नहीं किया, तो आगे की कानूनी लड़ाई की संभावना है।

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