Illegal Digging Outrage In Raebareli : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में सुल्तानपुर मेन रोड पर स्थित सारस चौराहा के आसपास मलिक मऊ पोस्ट ऑफिस रोड के बगल में आवासीय क्षेत्र में लगभग 6 फीट गहरी खुदाई का कार्य तेजी से चल रहा है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह खुदाई एक प्रस्तावित वाणिज्यिक बेसमेंट निर्माण के लिए की जा रही है, लेकिन जिला विकास प्राधिकरण (आरडीए) से कोई अनुमति नहीं ली गई है। जिला प्रशासन द्वारा गठित एंटी-भूमाफिया दस्ते की निष्क्रियता के कारण यहां जमीनों पर अवैध कब्जे और निर्माण कार्य बिना किसी रोकटोक के हो रहे हैं। सूचना देने के बावजूद कार्रवाई के बजाय कथित वसूली की शिकायतें आम हैं, जिससे आम जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
अनधिकृत खुदाई और सुरक्षा जोखिम

सारस चौराहा रायबरेली शहर का एक व्यस्त व्यावसायिक केंद्र है, जहां सुल्तानपुर मेन रोड पर दुकानें, नगर पालिका क्षेत्र में है यहां आवासीय भवन और छोटे-मोटे व्यापारिक प्रतिष्ठान स्थित हैं। पिछले वर्ष में विभाग की वसूली के चलते आवासीय क्षेत्र में कमर्सिअल बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई हैं, औऱ एक सप्ताह से फिर यहां मशीनों से लगभग 6 फीट गहरी खुदाई चल रही है, जिसकी वजह से बगल की दीवार औऱ मकान गिरने की आशंका है, जो एक निजी संपत्ति पर वाणिज्यिक बेसमेंट के लिए की जा रही बताई जा रही है। स्थानीय निवासी रामकुमार (नाम परिवर्तित) ने बताया, “यहां की मिट्टी नरम है और आसपास कई पुरानी इमारतें हैं। इतनी गहरी खुदाई से आसपास की संरचनाओं को खतरा हो सकता है। हमने तहसील और विकास प्राधिकरण को सूचना दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा, कुछ लोगों ने वसूली का दबाव बनाया।”
खुदाई का क्षेत्रफल लगभग 2,000 वर्ग फीट है, और मिट्टी का ढेर सड़क पर फैल गया है, जिससे यातायात बाधित हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह निर्माण बिना किसी योजना अनुमति के हो रहा है, जो राष्ट्रीय भवन संहिता (एनबीसी) का स्पष्ट उल्लंघन है। एनबीसी के अनुसार, बेसमेंट निर्माण के लिए न्यूनतम 10 मीटर की दूरी पर सुरक्षा दीवारें, जल निकासी व्यवस्था और भूकंप प्रतिरोधी डिजाइन अनिवार्य हैं, लेकिन यहां कुछ भी ऐसा नजर नहीं आ रहा।
एंटी-भूमाफिया दस्ते की निष्क्रियता: कब्जे और वसूली की संस्कृति
रायबरेली जिला प्रशासन ने पिछले साल भूमाफिया और अवैध कब्जों के खिलाफ एंटी-भूमाफिया दस्ता गठित किया था, लेकिन इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं। जिले में सरकारी और निजी जमीनों पर कब्जे की घटनाएं बढ़ गई हैं, खासकर व्यावसायिक क्षेत्रों में। एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सूचना देने पर टीम आती है, लेकिन कार्रवाई की बजाय ठेकेदारों से पैसे वसूलने का खेल चलता है। नतीजा, निर्माण रुकता नहीं। क्यों विकास प्राधिकरण की अनुमति अनिवार्य है?
वाणिज्यिक बेसमेंट की खुदाई और निर्माण हमेशा स्थानीय विकास प्राधिकरण (आरडीए) के दायरे में आता है। इसके बिना कोई कार्य शुरू नहीं किया जा सकता। मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।गहरी खुदाई से आसपास की इमारतों की नींव कमजोर हो सकती है। प्राधिकरण भूमिगत जल स्तर, मिट्टी की मजबूती और शटरिंग (सुरक्षा दीवारों) की जांच करता है। यहां बिना अनुमति के कार्य से दुर्घटना का खतरा मंडरा रहा है। भारत की राष्ट्रीय भवन संहिता (एनबीसी 2016) और उत्तर प्रदेश भवन नियमावली के तहत बेसमेंट के लिए विशिष्ट मानक हैं, जैसे वेंटिलेशन, अग्नि सुरक्षा और पार्किंग व्यवस्था। अवैध निर्माण पर 5 लाख तक जुर्माना या ध्वस्तीकरण हो सकता है।बड़े निर्माण के लिए नक्शा स्वीकृति, पर्यावरण मंजूरी और उपयोग परिवर्तन (लैंड यूज चेंज) की जरूरत होती है। आरडीए ही यह अनुमति जारी करता है। बिना इसके कार्य अवैध माना जाता है। खुदाई के दौरान निकलने वाली मिट्टी का अवैध खनन और बिक्री आम समस्या है। प्राधिकरण यह सुनिश्चित करता है कि मिट्टी का निपटान पर्यावरण नियमों के अनुरूप हो। रायबरेली जैसे क्षेत्रों में अवैध खनन से नदियों का क्षरण बढ़ रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
आरडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमें इस खुदाई की कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन हम जांच करेंगे। यदि अनुमति नहीं है, तो तत्काल रोक लगाई जाएगी।” हालांकि, जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। एंटी-भूमाफिया दस्ते के प्रभारी ने कहा, “हमारी टीम सक्रिय है, लेकिन संसाधनों की कमी से सभी जगह पहुंचना मुश्किल है। जनता को सीधे हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत करें।”
जनता की मांग: तत्काल कार्रवाई और पारदर्शिता
स्थानीय व्यापारी संघ ने जिला प्रशासन से मांग की है कि एंटी-भूमाफिया दस्ते को मजबूत किया जाए और निर्माण कार्यों की ऑनलाइन निगरानी शुरू हो। एक निवासी ने कहा, “यहां भूमाफिया का राज चल रहा है। अगर ऐसी खुदाई जारी रही, तो बड़ा हादसा हो सकता है।” विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन सर्वे और जीआईएस मैपिंग से अवैध कब्जों पर नजर रखी जा सकती है।
यह घटना रायबरेली में शहरीकरण की चुनौतियों को उजागर करती है, जहां विकास की आड़ में नियमों का उल्लंघन हो रहा है। प्रशासन को अब ठोस कदम उठाने होंगे, वरना जनता का विश्वास और कम होगा। यदि आप इस क्षेत्र के निवासी हैं, तो तुरंत आरडीए कार्यालय (फोन: 0535-2201234) या सीएम हेल्पलाइन से संपर्क करें।