Land Mafia Task Force Exposed In Raebareli : रायबरेली में भू-माफिया टास्क फोर्स की खुली पोल; भाई ने हड़पी पैतृक संपत्ति, पीड़ित नंदलाल लोधी न्याय के लिए दर-दर भटक रहा

Land Mafia Task Force Exposed In Raebareli : उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी ‘एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स’ योजना, जो जमीन विवादों को त्वरित निस्तारण करने का दावा करती है, धरातल पर बुरी तरह विफल साबित हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित इस टास्क फोर्स का उद्देश्य भू-माफियाओं पर अंकुश लगाना और आम जनता को न्याय दिलाना था, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। रायबरेली जिले के गदागंज थाना क्षेत्र के माफी मजरा कुरौली बुधकर गांव में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक भाई द्वारा ही अपने सगे भाई की पैतृक संपत्ति हड़प लेने का आरोप लगाया गया है। पीड़ित नंदलाल लोधी ने जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक गुहार लगाई, लेकिन कहीं से न्याय नहीं मिला।

पीड़ित की गुहार: भाई पर हड़पने का गंभीर आरोप

गांव कुरौली बुधकर के निवासी नंदलाल लोधी ने अपने बड़े भाई राजपाल (पुत्र स्वर्गीय महादेव) पर पैतृक मकान और खेती की जमीन (गाटा संख्या 152) पर कब्जा कर लेने का संगीन आरोप लगाया है। नंदलाल के अनुसार, यह संपत्ति उनके पिता स्वर्गीय महादेव की थी, जो मृत्यु के बाद सभी भाइयों में बराबर बंटवारी के लिए निर्धारित थी। लेकिन राजपाल ने चुपके से दस्तावेजों में हेराफेरी कर पूरी संपत्ति पर अवैध कब्जा जमा लिया।

पीड़ित नंदलाल ने बताया, “मैंने सबसे पहले स्थानीय एसडीएम कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। उसके बाद तहसील, पुलिस स्टेशन और फिर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा। यहां तक कि मुख्यमंत्री जी के कार्यालय में भी ऑनलाइन और ऑफलाइन शिकायत की, लेकिन किसी ने मेरी सुनवाई नहीं की। टास्क फोर्स का नाम तो सुना है, लेकिन यहां तो कोई कार्रवाई ही नहीं हुई।” नंदलाल की यह व्यथा सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जहां एक वीडियो रील में उन्होंने अपनी परेशानी बयां की है। इस वीडियो में नंदलाल भावुक होकर कहते नजर आ रहे हैं कि न्याय की आस में वे महीनों से प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन हर जगह खानापूर्ति हो रही है।

सरकार की योजना: कागजों पर मजबूत, जमीनी स्तर पर कमजोर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2022 में एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसका लक्ष्य भूमि विवादों को 90 दिनों के अंदर निपटाना था। इस फोर्स में राजस्व, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की संयुक्त टीम शामिल है, जो भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का दावा करती है। राज्य स्तर पर अब तक सैकड़ों एकड़ जमीन मुक्त कराई गई है और कई माफियाओं पर मुकदमे दर्ज हुए हैं। लेकिन ग्रामीण इलाकों में छोटे-मोटे पारिवारिक विवादों में यह फोर्स निष्क्रिय दिखाई दे रही है।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि टास्क फोर्स बड़े माफियाओं पर फोकस करती है, जबकि गांव स्तर के विवादों में भ्रष्टाचार और लापरवाही हावी है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “रायबरेली जैसे जिलों में जमीन के दावे अक्सर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होते हैं। पीड़ितों को ऊपरी स्तर तक पहुंचने में बाधाएं आती हैं, और निचले स्तर पर तो FIR दर्ज ही नहीं होती।”

प्रशासन की चुप्पी: कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं

इस मामले पर गदागंज थाना प्रभारी और एसडीएम कार्यालय से संपर्क करने पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। जिलाधिकारी कार्यालय ने कहा कि मामला जांच के दायरे में है, लेकिन कोई समयसीमा नहीं बताई। वहीं, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत दर्ज होने के बावजूद फॉलो-अप रिपोर्ट में कोई प्रगति नहीं दिखाई दी। नंदलाल ने दावा किया कि राजपाल ने गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों का साथ लेकर उन्हें धमकियां भी दी हैं, जिससे वे और अधिक डरावने हालात में जी रहे हैं।

व्यापक समस्या: UP में जमीन विवादों का बोझ

उत्तर प्रदेश में भूमि विवाद राज्य की एक बड़ी समस्या बने हुए हैं। राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, हर साल लाखों शिकायतें राजस्व विभाग को मिलती हैं, जिनमें से अधिकांश पारिवारिक कलह से जुड़ी होती हैं। एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स ने अब तक 500 से अधिक मामलों में कार्रवाई की है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और भ्रष्टाचार के कारण कई मामले लंबित पड़े रहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल लैंड रिकॉर्ड और तेजी से कोर्ट सेटलमेंट की जरूरत है ताकि ऐसे विवाद कम हो सकें।

पीड़ित की अपील: न्याय की उम्मीद

नंदलाल लोधी ने मीडिया से अपील की है कि उनका मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचे और टास्क फोर्स सक्रिय हो। “मैं सिर्फ अपनी सच्चाई चाहता हूं। यह संपत्ति मेरे पिता की मेहनत की कमाई है, जो मेरे परिवार का भरण-पोषण करती है। अगर सरकार वाकई गरीबों की सुनती है, तो मुझे न्याय मिलना चाहिए,” उन्होंने कहा।

यह मामला न केवल नंदलाल की व्यक्तिगत लड़ाई है, बल्कि पूरे सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करता है। क्या योगी सरकार अपनी योजना को मजबूत बनाएगी, या यह भी कागजों तक सीमित रहेगी? समय ही बताएगा।

Other Latest News

Leave a Comment