Pharmacist In Health Center : रायबरेली ऊंचाहार तहसील क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ( Community Health Center ) में तैनात फार्मासिस्ट ( Pharmacist ) की मनमानी पर मरीज और तीमारदारों में रोष व्याप्त है। केंद्र सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, ताकि आम मरीजों को निजी दवा दुकानों पर भटकना न पड़े। लेकिन फार्मासिस्ट ( Pharmacist ) की लापरवाही के कारण मरीजों को अस्पताल की उपलब्ध दवाओं के बावजूद बाहर जाकर दवा खरीदनी पड़ रही हैं। मामले में जिम्मेदारो की चुप्पी सवालिया निशान खड़े करती है।
बताते चलें कि गदागंज थाना क्षेत्र के धमधमा गांव निवासी प्रवेश कुमार की पत्नी आरती साहू को कुछ दिनों से स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो रही थी। उन्होंने ऊंचाहार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर को दिखाने का फैसला किया। बुधवार को दोपहर करीब 11 बजे आरती केंद्र पहुंचीं और डॉक्टर के पास रजिस्ट्रेशन कराकर ओपीडी में जांच कराई। डॉक्टर ने उनकी स्थिति को देखते हुए अस्पताल के स्टोर में उपलब्ध दवाओं की प्रिस्क्रिप्शन लिखी, जिसमें सामान्य एंटीबायोटिक्स और सप्लीमेंट्स शामिल थे।

डॉक्टर ने स्पष्ट रूप से कहा कि ये सभी दवाएं अस्पताल के फार्मेसी स्टोर में ही उपलब्ध हैं, इसलिए बाहर जाने की कोई जरूरत नहीं। आरती प्रिस्क्रिप्शन लेकर दवा काउंटर पर गईं। लेकिन वहां फार्मासिस्ट ( Pharmacist ) राम जी लापता थे। उनकी जगह एक ट्रेनी कर्मचारी दवाएं बांट रहा था। जब आरती और उनके पति प्रवेश ने दवाएं मांगीं, तो ट्रेनी ने प्रिस्क्रिप्शन चेक की और आधी दवाएं तो दे दीं। लेकिन बाकी दो महत्वपूर्ण दवाओं के लिए साफ मना कर दिया। ट्रेनी का कहना था, ये दवाएं यहां उपलब्ध नहीं हैं। आपको बाहर से लानी पड़ेंगी।” यह सुनकर आरती और प्रवेश हैरान रह गए, क्योंकि डॉक्टर ने खुद पुष्टि की थी कि दवाएं स्टोर में मौजूद हैं।
निराश होकर दंपति वापस डॉक्टर के पास पहुंचे और पूरी बात बताई। डॉक्टर ने आश्वासन दिया कि फार्मासिस्ट के आने पर दवाएं जरूर मिल जाएंगी, क्योंकि वे अस्पताल की ही हैं। उन्होंने ट्रेनी को निर्देश भी दिए। लेकिन फार्मासिस्ट ( Pharmacist ) का इंतजार लंबा खिंच गया। अगले दो घंटे बीत गए, लेकिन राम जी कहीं नजर नहीं आए। थक-हारकर जब प्रवेश ने ट्रेनी से दोबारा पूछा, तो उसने खुलासा किया, फार्मासिस्ट सर अपने कमरे में खाना बनाने चले गए हैं। वे आएंगे, तब स्टोर से दवा निकालकर देंगे। अभी इंतजार करना पड़ेगा। यह सुनकर आरती और प्रवेश को गुस्सा आ गया। उन्होंने तुरंत दवा काउंटर छोड़ दिया और बिना पूरी दवा लिए अस्पताल से लौट आए।
प्रवेश ने बताया, हम गरीब परिवार से हैं। अस्पताल में फ्री दवा का वादा किया जाता है, लेकिन यहां तो घंटों इंतजार कराया जाता है। आखिरकार हमें नजदीकी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदनी पड़ी, जहां 300 रुपये से ज्यादा खर्च हुए। अगर फार्मासिस्ट समय पर होते, तो यह खर्चा क्यों होता
इस घटना पर स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक मनोज शुक्ला से संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन उनका मोबाइल फोन लगातार ‘नेटवर्क कवरेज से बाहर’ बता रहा था। कई बार कोशिश के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी लापरवाही यहां आम बात है। ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र के निवासी रामू वर्मा ने कहा, “राहुल गांधी जी यहां के सांसद हैं, वे स्वास्थ्य योजनाओं पर जोर देते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर सुधार नहीं हो रहा। फार्मासिस्ट अक्सर अनुपस्थित रहते हैं, और ट्रेनी को जिम्मेदारी सौंपी जाती है, जो स्टोर का पूरा हिसाब नहीं रख पाते।”