आदिवासी कुड़मी समाज का अनिश्चितकालीन “रेल टेका-डहर छेका” आंदोलन आज (20 सितंबर 2025) पूरे झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में जोर-शोर से छाया रहा। ST दर्जा, कुरमाली भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने, सरना धर्म कोड लागू करने और जल-जंगल-जमीन के अधिकारों की मांग पर केंद्रित यह आंदोलन शांतिपूर्ण रखने की अपील के साथ-साथ रेल सेवाओं पर भारी असर डाल रहा है। झारखंड के मुरी, चंद्रपुरा, चरही, जगदीशपुर (जगेश्वर?), गोला, पारसनाथ, गोमो जैसे 40+ स्टेशनों पर लाखों प्रदर्शनकारी ट्रैक पर उतरे, लेकिन रामगढ़ जिले के बरकाकाना जंक्शन पर तो लाखों की जनसैलाब उमड़ पड़ी, जो आंदोलन का प्रमुख केंद्र बन गया।
बरकाकाना जंक्शन पर उमड़ी जनसैलाब

सुबह 5 बजे से ही रामगढ़ जिले के विभिन्न गांवों – सोनडीहा, करमा, कुजू, चम्बा, दुलमी, बड़की डुन्डी, सोसो, तेलयातु, कैथा, बरलोग आदि – से लाखों कुड़मी समाज के लोग पारंपरिक रीति-रिवाजों, ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते पहुंचे। महिलाएं, बच्चे, नौजवान और बुद्धिजीवी वर्ग ने ट्रैक पर जाम लगा दिया, जिससे कोडरमा-बड़काकाना रूट पर ट्रेनें ठप हो गईं। यह जनसैलाब इतना विशाल था कि स्थानीय प्रशासन के बैरिकेडिंग प्रयास विफल हो गए।
JLKM नेता पूर्व विधायक बिहार कुमार महतो का समर्थन
मांडू विधानसभा के JLKM नेता पूर्व विधायक बिहार कुमार महतो (या कुमार महतो) समर्थन के लिए पहुंचे। उन्होंने कहा, “पिछले 70 सालों से आदिवासी कुड़मी समाज अपनी संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। यह रेल टेका आंदोलन का संदेश केवल राज्य सरकार को ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार को भी है। अब कुड़मी अपने अधिकार लेने के लिए तैयार है।” अन्य स्थानीय नेता भी शामिल हुए, जो 1931 की जनगणना में ST दर्जे का ऐतिहासिक हवाला दे रहे थे।
रामगढ़ प्रशासन तैनात
रामगढ़ प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी, RPF के 200+ जवान तैनात किए। ड्रोन और CCTV से निगरानी हो रही है, लेकिन प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा। कलकत्ता हाईकोर्ट ने आंदोलन को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए
आंदोलन का झारखंड, बंगाल, ओडिशा में व्यापक प्रभाव
आज पहले दिन ही 50+ ट्रेनें प्रभावित हुईं – 15 रद्द, 20 डायवर्ट, 15 शॉर्ट टर्मिनेटेड। चक्रधरपुर मंडल में 40 ट्रेनें बाधित। हाईकोर्ट ने प्रशासन को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए। कुड़मी समाज ने कहा है कि जब तक मांगें पूरी न हों, आंदोलन चलेगा। यात्रियों से अपील की गई है कि ST दर्जे की मांग को ऐतिहासिक न्याय मानें और समर्थन दें।