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मध्य प्रदेश में होगी डिफेंस इनोवेशन एंड डेवलपमेंट विंग की स्थापना, बनेगी एआई लैब

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मध्यप्रदेश में डिफेंस इनोवेशन एण्ड डेवलपमेंट विंग की स्थापना की जा रही है। रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी नवाचारों, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देते हुए रोजगार के नए अवसरों को पैदा करने में यह विंग सहयोगी बनेगी। इसके साथ ही भोपाल को डिफेंस इनोवेशन का महत्वपूर्ण केंद्र बनाकर सामाजिक, आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के विकास को प्रोत्साहन भी मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा इस संबंध में मध्यप्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद से की गई अपेक्षा के अनुरूप इस विंग की स्थापना के लिए टेरीटोरियल आर्मी इनोवेशन सेल के साथ करारनामा किया गया है। रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान, विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में डिफेंस इनोवेशन एण्ड डेवलपमेंट विंग अपनी भूमिका का निर्वहन करेगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया का आव्हान कर युवाओं को निरंतर प्रेरित किया। इस नाते मध्यप्रदेश में इनोवेशन विंग की स्थापना एक अहम कदम है।

डिफेन्स इकोसिस्टम व्यवसायिक विकास के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। मध्यप्रदेश में इस क्षेत्र में कार्य की संभावनाएं भी हैं और क्षमताएं भी। दरअसल राज्य में पहले से ही 10 से अधिक स्टार्टअप की पहचान की गई है, जो राज्य के भीतर मजबूत उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत हैं। जैसे-जैसे मध्यप्रदेश डिफेंस इनोवेशन के केंद्र के रूप में उभरता है,यह सेना के विकास के परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा साथ ही राज्य को रक्षा क्षेत्र में नवाचार और प्रगति को बढ़ावा देने में प्रमुख रूप से स्थापित करेगा। इस विंग की स्थापना से मध्यप्रदेश को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी डिफेंस इनोवेशन के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में मदद मिलेगी, जिससे राज्य की आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति होगी।

मध्यप्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकास्ट) के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने बताया कि मध्यप्रदेश में डिफेंस इनोवेशन एण्ड डेवलपमेंट विंग की स्थापना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की इनोवेशन- प्रेरित विकास और समावेशी विकास की दृष्टि के अनुरूप है। यह विंग रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी नवाचार, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देती है। यह स्थायी समृद्धि के लिए नवाचार के उपयोग को सुनिश्चित करेगी । इसकी स्थापना क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने, विशेष रूप से मध्य भारत में युवाओं को कौशल विकास और रोजगार के अवसरों के माध्यम से सशक्त बनाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। यह विंग निवेश आकर्षित करके, उद्यमिता को बढ़ावा देकर और रोजगार के अवसर पैदा करके आर्थिक विकास को उत्प्रेरित करती है। इसके साथ ही यह विंग स्टेक होल्डर्स के बीच ज्ञान विनिमय, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहयोग को सुविधाजनक बनाकर तकनीकी प्रगति की गति बढ़ाने में उपयोगी होगी। भोपाल को डिफेंस इनोवेशन का एक केंद्र बनाकर क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के विकास को प्रोत्साहित करता है।

मील का पत्थर बनेगी डिफेन्स इनोवेशन विंग

डिफेंस इनोवेशन एण्ड डेवेलपमेंट विंग भोपाल, मध्यप्रदेश में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बनेगी, जो इनोवेशन और सहयोग के माध्यम से देश की रक्षा क्षमताओं को उन्नत करने पर केंद्रित रहेगी। मध्यप्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद और टेरीटोरियल आर्मी इनोवेशन सेल द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित यह विंग रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान, विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एक केंद्रीय केंद्र के रूप में कार्य के लिए तैयार की गई है। विंग द्वारा शैक्षिक संस्थानों, सरकारी निकायों, स्टार्टअप्स, उद्योगों और प्रादेशिक सेना सहित प्रमुख स्टेक होल्डर्स के समर्थन में इनोवेशन और प्रगति के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने का प्रयास किया गया है। अपने साझेदारों की सामूहिक विशेषज्ञता और संसाधनों का उपयोग करके विंग द्वारा रक्षा प्रौद्योगिकी में उभरती चुनौतियों और अवसरों का सामना करने का प्रयास किया जाता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण होता है। सहयोगात्मक प्रयासों और रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से इस विंग द्वारा मध्यप्रदेश को रक्षा इनोवेशन के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया गया है, जिससे प्रतिभा का विकास और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उन्नति हो सके।

मध्यप्रदेश में डिफेंस टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम एक अनूठी संयुक्त पहल है। भारतीय सेना की अपनी क्षमताओं को बढ़ाने और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए नवाचारों और उच्च-स्तरीय तकनीकों की आवश्यकता होती है। ऐसी तकनीकों के विकास के लिए एक मजबूत अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी की आवश्यकता होती है जो विभिन्न स्टेक होल्डर्स के बीच सहयोग को सुगम बना सके। युवाओं, शोधकर्ताओं, इंजीनियरों और समाज के बड़े वर्ग के बीच उद्यमी भावना को बढ़ावा देने के लिए डिफेंस इकोसिस्टम एक बड़े प्लेटफार्म की तरह काम करेगा।

रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब

भोपाल में एक डेडीकेटेड रक्षा अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित किया जाएगा, जो इनोवेशन और रक्षा के लिए सहयोग का एक केंद्र बनेगा। यह केंद्र अनुसंधान और विकास गतिविधियों का समर्थन करने के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं से सुसज्जित होगा।

आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस लैब

भोपाल में एक समर्पित ए आई लैब स्थापित की जाएगी, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, कमांड और नियंत्रण, सूचना के क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में संलग्न होगी, जिससे सेना के लिए मिशन- क्रिटिकल समाधान विकसित होगा। एक प्रतिभा विकास कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जो सेना की तकनीकी परियोजनाओं में रूचि रखने वाले व्यक्तियों के कौशल को विकसित करेगा। इस कार्यक्रम में प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और मार्गदर्शन के अवसर शामिल होंगे। इसके अलावा उद्योग साझेदारों के साथ सहयोग और ज्ञान साझा करने को बढ़ावा दिया जाएगा, इसके अंतर्गत कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन होगा। कोलैबोरेशन प्लेटफार्म को विकसित कर स्टेक होल्डर्स के विचारों, ज्ञान और संसाधनों को साझा करने का कार्य किया जाएगा। यह मंच शोधकर्ताओं, उद्योग विशेषज्ञों और सेना के लिए सुलभ रहेगा।

डिफेंस इनोवेशन विंग के प्रमुख उद्देश्य

डिफेंस इनोवशन एंड डेवलपमेंट विंग को नवाचारों को बढ़ाने, सहायोग को बढ़ावा देने और रक्षा क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करने के स्पष्ट उद्देश्यों के साथ स्थापित करने का निर्णय लिया है। स्वेदशी अनुसंधान, विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने के लिए एक केंद्रीय प्लेटफार्म के रूप में यह विंग कार्य करेगी, जिसके प्रमुख उद्देश्यों में रक्षा नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी निकायों, स्टार्टअप्स, उद्योगों और प्रादेशिक सेना के रक्षा क्षेत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देना,महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने और उन्नत समाधान विकसित करने के लिए रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान और विकास पहलों को प्राथमिकता देना, रक्षा अनुप्रयोगों में उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए हितधारकों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान विनिमय को सुगम बनाना, उद्यमिता को बढ़ावा देकर, रोजगार के अवसर सृजित करके और रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश आकर्षित करके आर्थिक विकास को गति देना शामिल है।

डिफेंस इनोवेशन विंग की प्रस्तावित स्थापना न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह रक्षा नवाचार प्रयासों को संगठित करने, स्थानीय प्रतिभा और संसाधनों का लाभ उठाने और भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी के रूप में स्थापित करने के लिए एक विशिष्ट प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए तैयार है। यह विंग राज्य के लिए अनेक अवसर उत्पन्न करने का माध्यम बनेगी। अनुसंधान, विकास, विनिर्माण और संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य, कौशल विकास और आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान देगा। डिफेंस इनोवेशन विंग उन्नत प्रौद्योगिकीय और समाधानों के विकास का नेतृत्व करने के लिए तैयार है, जो महत्वपूर्ण रक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए तैयार किए गए हैं। इस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक क्षमताओं को बढ़ाना अब आसान होगा। विंग अकादमिक संस्थानों,सरकारी एजेंसियों,स्टार्टअप्स और उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी, जिससे एक जीवंत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित किया जा सकेगा और रक्षा उद्योग में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। यह विंग शिक्षा, प्रशिक्षण और रक्षा संबंधित क्षेत्रों में कौशल विकास के लिए मार्ग प्रदान करके प्रतिभा को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए कुशल प्रोफेशनन्स की एक पाइपलाइन तैयार की जा सके।

इन संस्थाओं पर होगा डिफेंस इनोवेशन विंग के संचालन का जिम्मा

डिफेंस इनोवेशन एंड डेवलपमेंट विंग के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मध्यप्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद, टेरीटोरियल आर्मी इनोवेशन सेल और राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के नेतृत्व में इस अद्भुत पहल के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

मध्यप्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद : मेपकॉस्ट एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में कार्य करता है। यह संस्था रक्षा नवाचार को मजबूत करने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन, संसाधन समन्वय और नीति सुविधा प्रदान करती है। मध्यप्रदेश में एक अग्रणी वैज्ञानिक संगठन के रूप में मेप कॉस्ट अनुसंधान संस्थानों, उद्योगों और सरकारी निकायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है।

टेरीटोरियल आर्मी इनोवेशन सेल : यह सेल सीमांत सेना से मूल्यवान विशेषज्ञता लाता है। रक्षा चुनौतियों, प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं और आपरेशनल जरूरतों में सहायक होता है। इस सेल की भागीदारी के माध्यम से इनोवेशन विंग को वास्तविक परिप्रेक्ष्य और नवाचारी समाधानों के क्षेत्र में आवास परीक्षण और मान्यता के अवसर मिलते हैं।

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय : राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का ज्ञान संसाधन केंद्र रक्षा नवाचार के प्रयासों के लिए कटिंग-एज सुविधाएं, अनुसंधान बुनियादी संरचना और तकनीकी समर्थन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। राज्य में पहली बार की गई इस पहल के रूप में विश्वविद्यालय का ज्ञान संसाधन केंद्र सहयोग, ज्ञान सार्वजनिकता और रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।

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