Gambling At Festivals: गोमिया में ताश के पत्तों पर बड़े पैमाने पर जुआ का दांव, जुआरी आ रहे मोटे दांव लगाने

Gambling At Festivals : ताश के पत्तों पर किस्मत का दांव: गोमिया में खुलेआम खेला जा रहा जुआ, पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल

Gambling At Festivals : त्योहारों के सीजन में जहां एक ओर लोग धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव में डूबे हैं, वहीं गोमिया (Gomia) में जुए का बढ़ता प्रचलन चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहा है। दुर्गा पूजा के बाद से इलाके में ताश के पत्तों पर जुए के दांव तेज़ी से बढ़ गए हैं। कई स्थानों पर जुआरियों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है, जो खुलेआम मोटे दांव लगा रहे हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि यह सब कुछ प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी के बावजूद हो रहा है। लोगों को डर है कि इस अवैध गतिविधि से इलाके में अपराध की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं। आइए जानते हैं कैसे गोमिया में त्योहारों की खुशियों के बीच जुए का साया गहराता जा रहा है।

त्योहारों के बाद जुए का दौर शुरू

गोमिया (Gomia) और आसपास के इलाकों में दुर्गा पूजा खत्म होते ही जुए का सिलसिला शुरू हो गया है। हर साल की तरह इस बार भी ताश के पत्तों पर बड़े दांव लगते देखे जा रहे हैं। गोमिया, स्वांग, पुराना माइनर्स के भुइंया टोला, साड़म और बाजार समीप डैम के किनारे ऐसे कई ठिकाने हैं जहां जुआ खुलेआम खेला जा रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह गतिविधि त्योहारों तक सीमित नहीं रहती बल्कि सालभर चलती रहती है। जुआरियों की भीड़ दिन-रात जुटी रहती है और मोटे पैसों का लेन-देन किया जाता है। पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता से जुआरियों के हौसले बुलंद हैं। लोगों का कहना है कि अगर इसी तरह लापरवाही जारी रही, तो यह सामाजिक अशांति का कारण बन सकता है।

प्रशासन की चुप्पी और बढ़ती लापरवाही

इलाके में जुए का बढ़ता प्रसार इस बात का सबूत है कि स्थानीय प्रशासन इस अवैध गतिविधि पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। पुलिस की मौजूदगी के बावजूद जुआरी खुलेआम ताश के पत्तों पर दांव लगा रहे हैं। यह लापरवाही न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि अपराध को बढ़ावा देने का कारण भी बन सकती है। लोगों का कहना है कि प्रशासन की चुप्पी के चलते यह धंधा अब संगठित रूप ले चुका है। कई जुआ ठिकानों पर निगरानी के अभाव में बाहरी लोग भी शामिल हो रहे हैं। ऐसे में यह डर बना हुआ है कि इन जगहों पर कभी भी विवाद, चोरी या झगड़े जैसी घटनाएं हो सकती हैं। लोगों ने पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

सामाजिक और पारिवारिक असर

जुए की यह लत अब स्थानीय समाज के लिए चिंता का कारण बन चुकी है। लगातार जुए में डूबे रहने से कई परिवारों में क्लेश और आर्थिक अस्थिरता की स्थिति बन रही है। कई घरों में पति-पत्नी के बीच झगड़े और तनाव के मामले भी सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जुए जैसी बुरी आदतें न केवल व्यक्ति का भविष्य बर्बाद करती हैं, बल्कि समाज में अपराध और असामाजिक तत्वों को भी बढ़ावा देती हैं। इसके कारण चोरी, डकैती और छिनतई जैसी घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। लोगों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि ऐसे अवैध जुआ ठिकानों पर जल्द छापेमारी की जाए और इस सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म किया जाए।

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