Viral Video Shows Child Labor: रायबरेली (Raebareli) जिले के प्राथमिक विद्यालयों में एक बार फिर कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने लोगों के होश उड़ा दिए हैं, जिसमें छोटे बच्चों को भारी कुर्सियां ढोते हुए देखा गया है। यह घटना ‘हर दिन विद्यालय’ (Har Din Vidhyalaya) कार्यक्रम के दौरान हुई थी, जिसका उद्देश्य बच्चों की शिक्षा और सहभागिता बढ़ाना है। लेकिन वीडियो में बच्चों की थकान और असहजता साफ दिखाई दे रही है, जिससे अभिभावकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे स्कूल में यह स्थिति बनी और अधिकारियों ने इस पर क्या कार्रवाई शुरू की? चलिए जानते हैं पूरी खबर विस्तार से।
बच्चों पर भारी कुर्सियों का बोझ

संताव ब्लॉक के शाहपुर सिंगरिया प्राथमिक विद्यालय (Shahpur Singriya Primary School of Santav Block) में घटना 6 अक्टूबर 2025 को हुई। ‘हर दिन विद्यालय’ कार्यक्रम के समापन के दौरान शिक्षकों ने छोटे बच्चों को टेंट हाउस की भारी कुर्सियां सिर पर लादकर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर ढुलवाने के लिए मजबूर किया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि 8 से 10 वर्ष के बच्चे अपने सिर पर 4-5 कुर्सियां ले जा रहे हैं। रास्ता धूल भरा और लंबा था, जिससे बच्चों की थकान और दर्द झलक रहा था। कुछ बच्चे कुर्सियों के गिरने पर भी परेशान नजर आए, लेकिन शिक्षक पीछे-पीछे केवल चिल्लाते दिखे। यह अमानवीय स्थिति अभिभावकों और ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बन गई।
अभिभावकों और ग्रामीणों का आक्रोश
वीडियो वायरल होते ही अभिभावक स्कूल पहुंचे और शिक्षकों की लापरवाही पर सवाल खड़े किए। रामकिशोर नामक अभिभावक ने बताया कि उनके 7 वर्षीय बेटे को कुर्सियां ढोने के लिए मजबूर किया गया, जिससे सिर में तेज दर्द हो गया। उन्होंने कहा कि बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल जाते हैं, मजदूरी के लिए नहीं। ग्रामीणों ने भी शिक्षकों की पुरानी लापरवाही पर नाराजगी जताई। कभी किताबें समय पर उपलब्ध नहीं होतीं, तो कभी इस तरह की अमानवीय हरकतें होती हैं। उन्होंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) से मामले की जांच और जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
बीईओ को सौपी गई जांच और संभावित कार्रवाई
वीडियो वायरल होने के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (Basic Education Officer) को मामला संज्ञान में आया और जांच सौंप दी गई। बीईओ ने तत्काल स्कूल प्रशासन से रिपोर्ट मांगी और शिक्षकों की जवाबदेही तय करने के लिए निर्देश जारी किए। जांच में यह भी देखा जाएगा कि बच्चों को कार्य सौंपते समय सुरक्षा और मानवीय दृष्टिकोण का पालन किया गया या नहीं। इसके अलावा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में इस तरह की अमानवीय परिस्थितियों से बच्चों की सुरक्षा को खतरा न हो। अभिभावकों और सामाजिक संगठनों की निगाह अब इस जांच पर टिकी है, और उम्मीद है कि उचित कार्रवाई से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।