Pakistan Strikes In Kabul: अफगानिस्तान (Afghanistan) और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। गुरुवार रात काबुल में हुए तेज धमाकों ने इस्लामाबाद (Islamabad) की बेचैनी उजागर कर दी। जब अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी भारत के अपने पहले उच्च-स्तरीय दौरे पर हैं, ठीक उसी समय पाकिस्तान ने अफगान राजधानी पर हवाई हमला कर दुनिया को चौंका दिया। बताया जा रहा है कि यह हमला तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों को निशाना बनाकर किया गया। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ आतंकवाद विरोधी कार्रवाई है या नई दिल्ली-काबुल की बढ़ती निकटता से घबराए पाकिस्तान की एक कूटनीतिक प्रतिक्रिया? आज हम इसी घटनाक्रम का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।
काबुल में धमाकों से मचा हड़कंप/Pakistan Strikes In Kabul
गुरुवार रात अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल (Kabul) में अचानक तेज धमाकों की आवाज़ें गूंजीं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने शाहिद अब्दुल हक चौक के पास स्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों को निशाना बनाया। अफगान नागरिकों ने रातभर दहशत का माहौल झेला। पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट्स ने दावा किया कि TTP प्रमुख नूर वली महसूद इस हमले में मारा गया है, हालांकि जल्द ही खुद महसूद का एक ऑडियो संदेश सामने आया, जिसमें उसने इन खबरों को “दुश्मन का दुष्प्रचार” बताते हुए कहा कि वह सुरक्षित है और पूरी तरह नियंत्रण में है।

पाकिस्तान का दावा और मकसद
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस हवाई हमले का मुख्य उद्देश्य TTP के कमांड ढांचे को कमजोर करना था। 2018 से संगठन का नेतृत्व कर रहे नूर वली महसूद (Noor Wali Mehsud) को पाकिस्तान लंबे समय से अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। महसूद, जिसने 9/11 के बाद अमेरिका के साथ पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियों को “विश्वासघात” कहा था, इस्लामाबाद के लिए वर्षों से सिरदर्द बना हुआ है। TTP के आतंकियों ने हाल के महीनों में कई हमलों की जिम्मेदारी ली, जिनमें 8 अक्टूबर को अफगान सीमा के पास हुए हमले में 11 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत सबसे बड़ा झटका था।
तालिबान-पाकिस्तान रिश्तों में बढ़ता तनाव
तालिबान शासन (Taliban) और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच पहले से ही मतभेद गहराते जा रहे हैं। पाकिस्तान बार-बार यह आरोप लगाता आया है कि TTP को अफगानिस्तान की जमीन से आर्थिक और सैन्य समर्थन मिलता है। वहीं, काबुल इस्लामाबाद के इन आरोपों को नकारता रहा है। अब काबुल में हुए इस हमले ने दोनों देशों के बीच संबंधों में नई तल्खी पैदा कर दी है। पूर्व अमेरिकी राजदूत ज़ल्मे खलीलज़ाद ने इस कार्रवाई को “खतरनाक वृद्धि” करार देते हुए पाकिस्तान और तालिबान से तुरंत बातचीत की अपील की है।
चेतावनी के 24 घंटे बाद हमला
यह हवाई हमला पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ (Khawaja Asif) की कड़ी चेतावनी के सिर्फ 24 घंटे बाद हुआ। आसिफ ने संसद में कहा था कि आतंकवादी लगातार अफगान इलाके का उपयोग कर पाकिस्तान की सीमा पर हमले कर रहे हैं और अब “बहुत हो चुका है।” उन्होंने साफ संकेत दिए थे कि इस्लामाबाद अब संयम नहीं बरतेगा। विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान की यह कार्रवाई केवल सुरक्षा प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति समीकरणों को भी प्रभावित करने की कोशिश है।
अफगान विदेश मंत्री का भारत दौरा और कूटनीतिक संकेत
पाकिस्तानी हमले का समय बेहद अहम है। जब अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी भारत के छह दिवसीय दौरे पर हैं, पाकिस्तान का यह कदम काबुल और नई दिल्ली दोनों को एक सख्त संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। मुत्तकी अपनी यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) से मुलाकात करेंगे। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद यह भारत और अफगानिस्तान के बीच सबसे महत्वपूर्ण उच्च-स्तरीय वार्ता मानी जा रही है। ऐसे में पाकिस्तान का यह कदम क्षेत्रीय कूटनीति को और अधिक जटिल बना सकता है।










