Transport Department’s Grip on Poor Farmers : दीवाली जैसे प्रमुख त्योहारों की तैयारियों के बीच रायबरेली में परिवहन विभाग की सख्ती ने गरीब किसानों को परेशान कर दिया है। शहर कोतवाली थाना क्षेत्र के एसपी कार्यालय के बाहर एक किसान की सीमेंट से लदी ट्रैक्टर ट्राली को रोक लिया गया। विभाग के कर्मियों ने ट्रैक्टर चालक का लाइसेंस छीन लिया, जिसके बाद चालक ने पीटीओ रेहाना बानो से लाइसेंस वापस दिलाने की गुहार लगाई। यह घटना विभाग की चुनिंदा कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रही है, क्योंकि ग्रीस और कालिख से सने नंबर प्लेट वाले डंपरों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
घटना का विवरण: किसान की ट्रैक्टर ट्राली पर कार्रवाई

सोमवार सुबह करीब 10 बजे रायबरेली शहर कोतवाली के एसपी कार्यालय के बाहर यह मामला सामने आया। एक स्थानीय किसान अपनी ट्रैक्टर ट्राली में सीमेंट लादकर बाजार की ओर जा रहा था। परिवहन विभाग की टीम ने वाहन को अचानक रोक लिया। आरोप है कि टीम ने बिना किसी पूर्व चेतावनी के ट्रैक्टर चालक का ड्राइविंग लाइसेंस छीन लिया। चालक, जो एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखता है, ने तुरंत पीटीओ (यात्री कर मालकर अधिकारी) रेहाना बानो से संपर्क किया और लाइसेंस वापसी की विनती की।
चालक ने बताया, “मैं केवल अपने खेत के लिए सीमेंट ले जा रहा था। त्योहारों के समय निर्माण कार्य तेज हो जाता है, लेकिन विभाग ने बिना सुने कार्रवाई कर दी। लाइसेंस छूटने से मेरा पूरा काम ठप हो गया है।” वीडियो फुटेज में साफ दिख रहा है कि चालक एसपी कार्यालय के बाहर खड़ा होकर पीटीओ से गुहार लगा रहा है, जबकि ट्रैक्टर ट्राली सड़क किनारे खड़ी है।
विभाग की चुनिंदा कार्रवाई: डंपरों पर नजर क्यों नहीं?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि परिवहन विभाग छोटे किसानों पर शिकंजा कस रहा है, जबकि बड़े वाहनों जैसे डंपरों पर ढील बरती जा रही है। शहर की सड़कों पर घूमने वाले कई डंपरों के नंबर प्लेट ग्रीस और कालिख से ढके रहते हैं, जिससे उनकी पहचान मुश्किल हो जाती है। इन वाहनों पर ओवरलोडिंग और बिना परमिट के माल ढुलाई के कई मामले सामने आते हैं, लेकिन विभाग की ओर से कोई सख्ती नहीं दिखाई देती।
एक स्थानीय व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “किसान का ट्रैक्टर रोका जाता है, लेकिन डंपर जो रात-दिन सड़कों पर दौड़ते हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं। त्योहारों से पहले गरीबों को निशाना बनाना क्या न्यायपूर्ण है?” यह घटना जुलाई 2025 में रायबरेली में हुई इसी तरह की कार्रवाई की याद दिला रही है, जब पीटीओ रेहाना बानो के नेतृत्व में दो कृषि ट्रैक्टर ट्रालियों को वाणिज्यिक उपयोग के लिए सीज किया गया था।
ट्रैक्टर ट्राली के नियम: कृषि उपयोग सीमित, वाणिज्यिक पर सख्ती
केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत ट्रैक्टर और ट्राली का पंजीकरण केवल कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। यदि इनका उपयोग सीमेंट, ईंट या अन्य वाणिज्यिक माल ढुलाई के लिए किया जाता है, तो परमिट अनिवार्य होता है। उल्लंघन पर लाइसेंस जब्ती, जुर्माना (प्रति टन 242 रुपये) और वाहन सीज जैसी कार्रवाई हो सकती है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में ट्रैक्टर ट्राली पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने और निर्माण मानकों का पालन अनिवार्य किया है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी ईंट-बालू ढुलाई में ट्रैक्टर ट्राली के उपयोग पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। फिर भी, जमीनी स्तर पर किसानों को जागरूकता की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों में आक्रोश: विभाग पर सवालों का दौर
घटना के बाद स्थानीय किसान समुदाय में आक्रोश फैल गया है। कई किसानों ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी से हस्तक्षेप की मांग की है। एक पोस्ट में लिखा गया, “त्योहारों से पहले गरीबों को परेशान कर रहा परिवहन विभाग।” किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि ऐसी कार्रवाइयां जारी रहीं, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
विभाग का पक्ष: नियमों का पालन जरूरी
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कार्रवाई नियमों के अनुपालन के लिए की गई है। “ट्रैक्टर का दुरुपयोग सड़क सुरक्षा को खतरे में डालता है। हम सभी वाहनों पर नजर रख रहे हैं, लेकिन प्राथमिकता उल्लंघनों पर है।” हालांकि, डंपरों पर कार्रवाई न होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अलग-अलग टीम्स कार्यरत हैं।
आगे की राह: जागरूकता और संतुलित कार्रवाई की जरूरत
यह घटना रायबरेली के किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि विभाग को छोटे किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ बड़े उल्लंघनों पर भी फोकस करना चाहिए। त्योहारों के मौसम में यदि ऐसी सख्तियां बढ़ीं, तो आर्थिक नुकसान से किसान और परेशान हो सकते हैं। जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच करे और प्रभावित किसान को राहत प्रदान करे।