Big Move in MP Politics: मध्य प्रदेश में एमआईएम का बड़ा उलटफेर! कांग्रेस से जुड़े मोहसिन अली को मिली बड़ी जिम्मेदारी

Big Move in MP Politics: कांग्रेस विचारधारा के समर्थक मोहसिन अली अब एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष? कार्यकर्ताओं में मचा हड़कंप

Big Move in MP Politics: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की सियासत में एक नया मोड़ आने वाला है। मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के भीतर ऐसा बदलाव होने जा रहा है जिसने संगठन के पुराने कार्यकर्ताओं को असमंजस में डाल दिया है। पार्टी में लंबे समय से मेहनत करने वाले कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं कि क्या अब उनकी जगह बाहरी चेहरे लेंगे? खास बात यह है कि जिस व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जाने की चर्चा है, उनका जुड़ाव पहले कांग्रेस से रहा है और वे खुलकर कांग्रेस (Congress) की विचारधारा का समर्थन कर चुके हैं। आइए जानते हैं, आखिर मध्य प्रदेश में एमआईएम (MIM) के भीतर चल रही इस कानाफूसी की पूरी कहानी—

एमआईएम में उलटफेर की आहट

मध्य प्रदेश में एआईएमआईएम (AIMIM) के भीतर बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। संगठन के भीतर चर्चाएँ जोरों पर हैं कि पार्टी के शीर्ष स्तर पर कुछ ऐसा निर्णय लिया गया है, जो जमीनी कार्यकर्ताओं को हैरान कर सकता है। कहा जा रहा है कि नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ऐसे व्यक्ति का नाम सामने आया है, जो कभी कांग्रेस का सक्रिय चेहरा रह चुका है। इस फैसले से कार्यकर्ताओं में असंतोष है और कई लोग इसे संगठन की दिशा बदलने वाला कदम मान रहे हैं।

मोहसिन अली खान कौन हैं?

मोहसिन अली खान (Mohsin Ali Khan) एक प्रभावशाली कांग्रेसी कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में स्पष्ट कहा था कि भारत में केवल दो प्रमुख पार्टियाँ हैं– भाजपा और कांग्रेस (BJP and Congress)। उन्होंने भाजपा की विचारधारा का विरोध करते हुए कांग्रेस को देश की सेक्युलर ताकत बताया था। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा था कि मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन जैसी पार्टियों में शामिल होना सांप्रदायिक सोच को बढ़ावा देता है। ऐसे में, कांग्रेस से जुड़े मोहसिन अली का एमआईएम में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आना कई सवाल खड़े करता है।

कार्यकर्ताओं में असंतोष और सवाल

एआईएमआईएम (AIMIM) के कई पुराने कार्यकर्ता इस संभावित निर्णय को लेकर नाखुश दिख रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी में वर्षों से जमीनी स्तर पर काम करने वाले सैकड़ों कार्यकर्ता हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ कर बाहरी व्यक्ति को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देना अनुचित है। वे पूछ रहे हैं—क्या प्रदेश में कोई ऐसा सक्षम कार्यकर्ता नहीं था जो अध्यक्ष बन सके? क्या यह निर्णय संगठन को कमजोर करने की साजिश है या फिर किसी बाहरी दबाव का परिणाम?

संगठन की नीति पर उठे सवाल

पार्टी के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी नए सदस्य को जिम्मेदारी देने से पहले उसके इतिहास, राजनीतिक पृष्ठभूमि और संगठन के प्रति निष्ठा की जांच की जाती है। लेकिन इस बार यह प्रक्रिया नजरअंदाज की जा रही है। मोहसिन अली (Mohsin Ali) को सीधे प्रदेश अध्यक्ष बनाने की तैयारी से संगठन की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग गया है। पार्टी के भीतर यह चर्चा आम है कि इस फैसले से एआईएमआईएम (AIMIM) की छवि और कार्यकर्ताओं की एकजुटता दोनों पर असर पड़ सकता है।

‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ वाला मामला?

राजनीतिक गलियारों में इस पूरे घटनाक्रम को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह निर्णय ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ जैसा साबित हो सकता है। उनका तर्क है कि बिना कार्यकर्ताओं की राय लिए किसी बाहरी व्यक्ति को शीर्ष पद देना संगठनात्मक अनुशासन के खिलाफ है। हालांकि, कुछ लोग इसे पार्टी के लिए नए अध्याय की शुरुआत भी बता रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या यह बदलाव एमआईएम को मजबूत करेगा या फिर संगठन में दरार का कारण बनेगा।

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