Tejashwi Plays Masterstroke Move: साली करिश्मा को टिकट देकर तेजस्वी ने चला मास्टरस्ट्रोक, चंद्रिका राय और तेज प्रताप के समीकरणों में मचा भूचाल

Tejashwi Plays Masterstroke Move: करिश्मा राय पर तेजस्वी का दांव! परसा सीट से खुली लालू परिवार के ‘अंदरूनी खेल’ की नई पटकथा

Tejashwi Plays Masterstroke Move: बिहार (Bihar) की राजनीति में फिर से लालू परिवार (Lalu Family) सुर्खियों में है, और इस बार वजह हैं तेजस्वी यादव का एक अप्रत्याशित कदम। बिहार की परसा विधानसभा सीट (Parsa Assembly seat) से आरजेडी ने डॉ. करिश्मा राय (Dr. Karishma Rai) को उम्मीदवार बनाकर न केवल नए राजनीतिक समीकरण गढ़े हैं, बल्कि परिवार के पुराने घावों को भी फिर से चर्चा में ला दिया है। करिश्मा राय, तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) की चचेरी साली और पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती हैं। तेजस्वी का यह फैसला तेज प्रताप और ऐश्वर्या राय के परिवार के बीच चली आ रही तनातनी के बीच कई मायनों में राजनीतिक और पारिवारिक दोनों ही संकेत दे रहा है। आइए जानते हैं पूरी खबर क्या है…

तेजस्वी का बड़ा कदम– परिवार से जुड़ी साली को टिकट/Tejashwi Plays Masterstroke Move

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) से ठीक पहले आरजेडी में एक बड़ा बदलाव सामने आया है। तेजस्वी यादव ने अपने बड़े भाई तेज प्रताप यादव की चचेरी साली, डॉ. करिश्मा राय को परसा सीट से उम्मीदवार बनाकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यह कदम उस पारिवारिक पृष्ठभूमि में उठाया गया है, जहां कभी ऐश्वर्या राय और तेज प्रताप के वैवाहिक विवाद ने लालू परिवार को दो हिस्सों में बांट दिया था। डॉ. करिश्मा राय पेशे से डेंटिस्ट हैं और पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती हैं। इस फैसले ने साफ कर दिया है कि तेजस्वी अब भावनाओं से ज्यादा राजनीतिक रणनीति पर ध्यान दे रहे हैं।

2020 से 2025 तक कैसे बदला समीकरण

2020 में जब तेज प्रताप (Tej Pratap Yadav) और ऐश्वर्या (Aishwarya) के बीच मामला अदालत तक पहुंचा था, तब लालू परिवार ने तेज प्रताप का समर्थन किया था और करिश्मा राय को टिकट नहीं दिया गया था। उस समय ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय (Chandrika Rai) आरजेडी छोड़कर जेडीयू में शामिल हो गए थे। पांच साल बाद कहानी पलट गई है — अब तेजस्वी यादव ने उन्हीं चंद्रिका राय की भतीजी करिश्मा राय को टिकट देकर राजनीति का पूरा खेल बदल दिया। यह कदम सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि पारिवारिक रिश्तों के नए दौर की शुरुआत भी माना जा रहा है।

परसा सीट पर जेडीयू का झटका

तेजस्वी के इस कदम के तुरंत बाद जेडीयू में भी हलचल मच गई। जेडीयू ने ऐश्वर्या राय के पिता चंद्रिका राय का टिकट काट दिया है। उनकी जगह पार्टी ने छोटेलाल राय को उम्मीदवार बनाया है, जो पहले आरजेडी में थे और 2020 के चुनाव में चंद्रिका राय को 17,000 वोटों से हराकर विधायक बने थे। अब स्थिति पूरी तरह उलट चुकी है — छोटेलाल राय जेडीयू में हैं और चंद्रिका राय बिना टिकट के बाहर। इस समीकरण ने परसा सीट को बिहार की सबसे चर्चित सीटों में शामिल कर दिया है।

तेजस्वी का दोहरा राजनीतिक दांव

तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने करिश्मा राय (Karishma Rai) को टिकट देकर दोहरा राजनीतिक फायदा साधा है। पहला– उन्होंने अपने पुराने सहयोगी चंद्रिका राय का खेल बिगाड़ दिया, जो जेडीयू से टिकट न मिलने के बाद किसी अन्य पार्टी से लड़ने की कोशिश में थे। दूसरा — उन्होंने अपने भाई तेज प्रताप (Tej Pratap) को यह संकेत भी दिया कि आरजेडी अब निजी विवादों को राजनीति में बाधा नहीं बनने देगी। इस फैसले से तेजस्वी ने विरोधियों को भी संदेश दिया कि पार्टी अब परिवार की सीमाओं से बाहर निकलकर रणनीतिक रूप से सोच रही है।

पारिवारिक और राजनीतिक समीकरण का नया अध्याय

करिश्मा राय (Karishma Rai) की उम्मीदवारी ने लालू परिवार (Lalu Family) के भीतर के रिश्तों में भी नया मोड़ ला दिया है। अब जब करिश्मा अपने चाचा चंद्रिका राय से आशीर्वाद लेने जाएंगी, तो उनके मना करने की संभावना बेहद कम होगी। इससे करिश्मा को पारिवारिक समर्थन के साथ-साथ परसा में सहानुभूति वोट भी मिल सकते हैं। यह कदम तेजस्वी के लिए एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है, जो उन्हें परिवार के भीतर और बाहर दोनों जगह मजबूती देगा।

परसा सीट का जातीय गणित और संभावनाएं

परसा विधानसभा क्षेत्र (Parsa Assembly Constituency) का जातीय समीकरण हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है। यहां यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और दलित मतदाताओं की संख्या प्रमुख है। आरजेडी का पारंपरिक M-Y (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक पहले से ही मजबूत रहा है, जबकि बीजेपी और जेडीयू कुशवाहा और सवर्ण वर्ग पर निर्भर हैं। हिंदू बहुल इस सीट पर 10-12% मुस्लिम आबादी भी नतीजे तय करने में भूमिका निभाती है। इन समीकरणों को देखते हुए, डॉ. करिश्मा राय की उम्मीदवारी ने चुनावी समीकरण को और दिलचस्प बना दिया है, जिससे यह सीट अब सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है।

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