Places Where Diwali Skipped: भारत के उन जगहों की कहानी जहां नहीं मनाई जाती दिवाली

Places Where Diwali Skipped: क्यों कुछ राज्यों में नहीं जलते दीपक और नहीं फूटते पटाखे?

Places Where Diwali Skipped: Diwali 2025 के आगमन से पहले देशभर में उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। रोशनी, मिठाइयाँ, और पटाखों की धूम सभी जगह नजर आ रही है। हर साल यह त्योहार घर-घर खुशियों की ज्योति फैलाता है और भगवान गणेश (Lord Ganesh) व माता लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) की विशेष पूजा का अवसर होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ दिवाली का जश्न नहीं मनाया जाता? न तो वहां दीपक जलते हैं और न ही पटाखों (Crackers) की आवाज सुनाई देती है। इसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। हर राज्य और शहर की अपनी मान्यता और परंपरा होती है, जो तय करती है कि रोशनी का यह पर्व कैसे मनाया जाए। आइए जानते हैं, पूरी खबर क्या है।

दिवाली का महत्व और इतिहास/Places Where Diwali Skipped

दीपावली (Diwali) का त्योहार हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पुराणों के अनुसार, यह दिन भगवान श्री राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने के अवसर पर मनाया गया था। उस समय लोगों ने घर-घर घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया। तब से यह पर्व हर साल अक्टूबर या नवंबर में धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली पर मुख्य रूप से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। घर और मंदिर सजाए जाते हैं और दीपक जलाए जाते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में भी हिंदू समुदाय इसे उत्साहपूर्वक मनाता है। यह पर्व सुख, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।

भारत में दिवाली न मनाने वाले स्थान

हालांकि, भारत (India) में हर जगह दिवाली (Diwali) का उत्सव नहीं मनाया जाता। कुछ राज्यों और शहरों में इस दिन विशेष पूजा या पटाखों का आयोजन नहीं होता। इनमें प्रमुख उदाहरण दक्षिण भारत के कुछ हिस्से हैं। इन जगहों में दिवाली का पर्व न मनाने के पीछे प्राचीन मान्यताएँ और स्थानीय परंपराएँ जिम्मेदार हैं। लोग मानते हैं कि हर राज्य की संस्कृति और धार्मिक परंपरा अलग होती है, जो तय करती है कि दीपों और रोशनी के इस पर्व को कैसे मनाया जाए। ऐसे राज्यों में दिवाली का पर्व अन्य त्योहारों जैसे नरक चतुर्दशी या स्थानीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

केरल में दिवाली क्यों नहीं मनाई जाती

केरल (Kerala) में दिवाली का त्योहार अधिकांश हिस्सों में नहीं मनाया जाता। केवल कोच्चि शहर में ही इसे धूमधाम से देखा जाता है। मान्यता है कि दिवाली के दिन केरल के राजा महाबली का निधन हुआ था, इसलिए इस दिन वहां जश्न नहीं मनाया जाता। इसके अलावा, राज्य में हिंदू समुदाय की संख्या कम होने और कार्तिक मास में बारिश होने के कारण पटाखे और दीपक जलाना कठिन होता है। यही वजह है कि केरल में अन्य राज्यों की तरह दिवाली का पर्व व्यापक रूप से नहीं मनाया जाता।

तमिलनाडु में दिवाली की अलग परंपरा

तमिलनाडु (Tamil Nadu) के कुछ हिस्सों में भी दिवाली (Diwali) का उत्सव नहीं मनाया जाता। यहां लोग कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाते हैं। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर का वध करने की कथा पर आधारित है। इसे “छोटी दिवाली” (Chhoti Diwali) के रूप में मनाया जाता है और इस दिन विशेष पूजा और उत्सव आयोजित होते हैं। इस प्रकार, तमिलनाडु में दिवाली की परंपरा मुख्य रूप से नरकासुर वध और उससे जुड़े धार्मिक कर्मकांडों पर केंद्रित है।

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