Highly Educated Terrorist In Delhi Blast : दिल्ली (Delhi) के लाल किले (Red Fort) के पास हुए कार धमाके (Car Bomb Blast) ने पूरे देश को हिला दिया है। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, वैसे-वैसे ऐसे नाम सामने आए जिन्होंने हर किसी को चौंका दिया। यह कोई आम अपराधी नहीं, बल्कि डिग्रीधारी डॉक्टर थे, किसी के पास PhD थी तो कोई सर्जन के तौर पर काम कर रहा था। देश को इलाज देने वाले ही जब तबाही के डॉक्टर बन जाएं तो सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर इनका मकसद क्या था? जांच एजेंसियों ने इस ‘D Gang’ के कई राज खोले हैं, जिससे जुड़ी हर परत नई सनसनी लेकर आई है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर कौन हैं ये डॉक्टर, कैसे रचा गया ये खेल और क्यों पढ़े-लिखे दिमाग बन गए मौत के सौदागर।
डॉक्टरों का दहशत नेटवर्क, लाल किले धमाके की कहानी

दिल्ली में 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट (Delhi Car Blast) ने शुरू में सभी को साधारण घटना लग रही थी, लेकिन जब जांच ने दिशा बदली तो खुलासा हुआ कि इस साजिश के पीछे डॉक्टरों का एक संगठित गिरोह था। इस गिरोह का नेतृत्व डॉ. उमर कर रहा था, जिसके साथ डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन, डॉ. आदिल और डॉ. मोहिउद्दीन जैसे शिक्षित लोग शामिल थे। इन सभी की मेडिकल डिग्रियां और उच्च शिक्षा देखकर एजेंसियां भी दंग रह गईं। जांच में भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार और संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये लोग देश में अस्थिरता फैलाने और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की योजना बना रहे थे, जिसे एजेंसियों ने वक्त रहते नाकाम कर दिया।
जब डिग्री नहीं रोक पाई आतंक की राह
डॉक्टरों की D Gang कोई पहली मिसाल नहीं है। इतिहास गवाह है कि कई पढ़े-लिखे दिमाग आतंक के रास्ते पर चले गए। पाकिस्तान का हाफिज सईद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर था, लेकिन उसने आतंक की फैक्ट्री खड़ी की। मुंबई ब्लास्ट का दोषी याकूब मेमन (Yakub Memon) एक चार्टर्ड अकाउंटेंट था। इंडियन मुजाहिदीन का मंसूर पीरभॉय Yahoo कंपनी में इंजीनियर था, जबकि ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) ने इंजीनियरिंग और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (Public Administration) की पढ़ाई की थी। इतनी ऊंची शिक्षा पाने के बाद भी इन लोगों ने अपने ज्ञान का इस्तेमाल समाज को तोड़ने के लिए किया — बनाने के लिए नहीं।
डॉक्टर, सर्जन और जिहाद, खौफ का नया चेहरा
डॉ. उमर (Dr. Umar) और उसकी टीम के बारे में जांच एजेंसियों ने जो डेटा जुटाया है, वह इस बात का संकेत है कि आतंक अब सिर्फ बंदूक और बम से नहीं, बल्कि बुद्धिजीवियों की सोच से भी पैदा हो रहा है। डॉ. शाहीन और डॉ. आदिल जैसे सर्जन जिन्होंने कभी ऑपरेशन थिएटर में ज़िंदगी बचाई, अब मौत का ब्लूप्रिंट बना रहे थे। ये सभी एक इंटरनेशनल नेटवर्क से जुड़े हुए थे जो सोशल मीडिया और डार्क वेब के जरिए फंडिंग और निर्देश प्राप्त कर रहे थे। एजेंसियों के मुताबिक, इस गिरोह का मकसद देश के युवाओं को प्रभावित कर उन्हें वैचारिक जिहाद की ओर धकेलना था।
शिक्षा बनाम सोच- असली खतरा कहाँ है?
दिल्ली धमाके (Delhi Blast) की जांच ने एक कड़वा सच सामने रखा है कि आतंक का चेहरा अब सिर्फ अनपढ़ नहीं रहा। जब सोच जहरीली हो जाती है, तो ज्ञान भी विनाश का औजार बन जाता है। डॉक्टरों जैसी प्रतिष्ठित प्रोफेशन में बैठे लोग जब नफरत और हिंसा का रास्ता चुनते हैं, तो यह समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाता है। यह मामला हमें याद दिलाता है कि शिक्षा केवल डिग्री नहीं, बल्कि विवेक और मानवीय मूल्य सिखाने का जरिया है। अगर सोच विषैली हो, तो सबसे पढ़ा-लिखा इंसान भी अंधेरे का हिस्सा बन जाता है — और दिल्ली के डॉक्टरों की D Gang इसका ताज़ा उदाहरण है।










