Indore News : मध्य प्रदेश की अधिकांश जेलों में अधिकारियों की मनमानी और भ्रष्टाचार के कारण न तो जेल नियमावली का पालन हो रहा है और न ही कैदियों को मिलने वाले लाभ मिल रहे हैं। कई जेल अधीक्षक तो जेल नियमावली में निर्धारित भोजन का दुरुपयोग कर रहे हैं और कैदियों का दूध और अंडे अपने पालतू कुत्तों को खिला रहे हैं। यदि सभी जेलों के मुख्य प्रहरी और प्रहरी रजिस्टर तथा भोजन रजिस्टर की जाँच की जाए और कैदियों को दिए जाने वाले भोजन की जाँच के लिए छापे मारे जाएँ, तो मध्य प्रदेश जेल विभाग में बड़े भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश की सभी मुख्य और उपजेलों में नियुक्त अधीक्षकों और अधिकारियों की मनमानी के कारण बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार हो रहे हैं। भ्रष्टाचार इतना व्याप्त है कि ये अधिकारी न केवल कैदियों के लिए निर्धारित राशन का गबन कर रहे हैं, बल्कि जेल में तैनात प्रधान आरक्षक और प्रहरियों से भी जबरन श्रम करवा रहे हैं।

जेल अधीक्षक को अपने घरेलू कामों के लिए केवल दो जेल कर्मचारियों को रखने की अनुमति है, लेकिन अगर जाँच की जाए, तो अधिकांश जेल अधीक्षकों को अपने घरों में 15 से 20 जेल कर्मचारी काम करते हुए मिलेंगे।
जेल अधीक्षक अपने अधीनस्थ जेलों में इतना भय बनाए रखते हैं कि कैदियों और कर्मचारियों पर अत्याचार की खबरें फैलने से रोकी जाती हैं। यहाँ तक कि मीडिया प्रतिनिधियों को भी जेल अधीक्षक का संरक्षण प्राप्त है, जिससे उनके कई कुकृत्य उजागर नहीं हो पाते।
मध्य प्रदेश सरकार और जेल मंत्री को राज्य की सभी जेलों का औचक निरीक्षण करना चाहिए और जेलों में होने वाली गतिविधियों की गुप्त रूप से जाँच करनी चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो जेल विभाग में बड़े घोटाले उजागर होने की संभावना है। अगर जाँच की जाए, तो यह प्रतिनिधि जाँच समिति को जेलों में सक्रिय सभी घोटालेबाजों के बारे में पुख्ता जानकारी दे सकता है।










