Festival Boost Indian Economy: त्योहारी सीज़न ने बढ़ाई भारत की GDP Growth, Q2 में 7.5% का अनुमान

Festival Boost Indian Economy: जानिए कैसे उत्सव की मांग ने दूसरी तिमाही की GDP को दिया बड़ा सहारा

Festival Boost Indian Economy: भारत (India) की अर्थव्यवस्था (Economy) एक बार फिर रफ्तार पकड़ती दिख रही है, और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है हालिया त्योहारी सीज़न की रिकॉर्ड तोड़ मांग। एसबीआई रिसर्च (SBI Research) की नई रिपोर्ट संकेत देती है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.5% या इससे ज्यादा दर्ज हो सकती है। उपभोक्ता खर्च में उछाल, निवेश गतिविधियों में तेजी और ग्रामीण खरीदारी के सुधरते संकेतक आर्थिक ग्राफ को ऊपर ले जाते दिख रहे हैं। जीएसटी दरों के युक्तिकरण से उपभोक्ताओं की जेब पर दबाव कम हुआ, जिसका सीधा असर बिक्री और खपत पर पड़ा। बेशक, रिपोर्ट कई सकारात्मक संकेतों की ओर इशारा कर रही है, लेकिन आधिकारिक आंकड़े अभी आना बाकी हैं। तो चलिए जानते हैं पूरी खबर…

त्योहारी मांग ने जगाई अर्थव्यवस्था में नई उम्मीद/Festival Boost Indian Economy

त्योहारी सीजन (Festival Season) हमेशा से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा अवसर माना जाता है, लेकिन इस बार मांग और खपत ने जिस गति से उछाल लिया, उसने विशेषज्ञों को भी चौंकाया है। भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India – SBI) की आर्थिक शोध इकाई के अनुसार, सितंबर और अक्टूबर के महीनों में बाजारों में खरीदारों की भीड़ लगातार बढ़ी। इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics), ऑटोमोबाइल (Automobil), किराना (General Stores) , फर्निशिंग (Furnishing) और ट्रैवल (Travel) से जुड़े क्षेत्रों में रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की गई। जीएसटी दरों के हालिया युक्तिकरण ने उपभोक्ताओं को राहत दी, जिससे खर्च करने की क्षमता और बढ़ गई। पहली तिमाही की तुलना में इस बार दूसरे तिमाही में खपत और मांग से जुड़े सकारात्मक संकेतक 70% से बढ़कर 83% पर पहुंच गए। ग्रामीण क्षेत्रों में भी खरीदारी में वृद्धि देखी गई, जिसने अर्थव्यवस्था की समग्र गति को मजबूत समर्थन दिया। ये सभी संकेत दर्शाते हैं कि घरेलू उपभोग अब अर्थव्यवस्था का नया वाहक बन रहा है।

जीडीपी ग्रोथ 7.5% के पार जाने की संभावना

SBI Research द्वारा जारी अनुमानित मॉडल के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.5% से अधिक हो सकती है। यह अनुमान ऐसे समय में आया है जब भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) ने भी जुलाई–सितंबर अवधि के लिए 7% ग्रोथ का अनुमान जारी किया है। रिपोर्ट बताती है कि निवेश गतिविधियों में तेजी, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों का मजबूत प्रदर्शन, और शहरी–ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मांग में निरंतर बढ़ोतरी ने इस तेज रफ्तार को संभव बनाया है। खास बात यह है कि जीएसटी दरों के युक्तिकरण का सीधा असर बाजार में नजर आया, जिससे उपभोक्ताओं की खरीदारी क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ। महीने के अंत तक सरकार द्वारा आधिकारिक जीडीपी आंकड़े जारी किए जाएंगे, जिससे अनुमानित और वास्तविक वृद्धि के बीच का अंतर स्पष्ट हो सकेगा। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यह त्योहारी सीजन भारत की आर्थिक रिकवरी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

जीएसटी सुधारों और खर्च के पैटर्न पर सकारात्मक संकेत

SBI की रिपोर्ट ने जीएसटी संग्रह को लेकर भी महत्वपूर्ण संकेत दिए हैं। अनुमान है कि नवंबर में जीएसटी संग्रह 1.49 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच सकता है, जो सालाना आधार पर 6.8% की वृद्धि दर्शाता है। इसके अलावा, आईजीएसटी और आयात उपकर को जोड़कर कुल संग्रह 2 लाख करोड़ रुपये के पार जा सकता है।
क्रेडिट और डेबिट कार्ड खर्च के आंकड़ों ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि उपभोक्ता खर्च में असाधारण उछाल आया है। जन-उपयोगी उत्पाद व सेवाओं पर 38%, सुपरमार्केट व किराना पर 17%, और ट्रैवल कैटेगरी पर 9% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी 2.0 सुधारों का सबसे बड़ा फायदा यह रहा कि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त टैक्स बोझ कम हुआ, जिससे खर्च करने की उनकी इच्छा बढ़ी। आर्थिक विश्लेषकों ने इन आंकड़ों को भारतीय उपभोग बाजार की मजबूती का संकेत बताया है, जो आने वाले महीनों में विकास दर को और स्थिरता दे सकता है।

छोटे शहर बने नई ग्रोथ का आधार

रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बार मांग केवल महानगरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि छोटे और मझोले शहर नए ग्रोथ इंजन बनकर उभरे हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर बिक्री सभी शहरों और कस्बों में मजबूत रही, जबकि डेबिट कार्ड खर्च के आंकड़ों में भी हर राज्य में वर्ष-दर-वर्ष बढ़ोतरी दर्ज की गई। इससे स्पष्ट है कि भारत का उपभोग आधार अब अधिक व्यापक और विविध हो चुका है। मौजूदा स्थिति में भारत का आर्थिक परिदृश्य “सतर्क आशावाद” की स्थिति में है। मुद्रास्फीति का दबाव कम हो रहा है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार दिख रहा है और निजी निवेश गति पकड़ रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जीएसटी 2.0 सुधारों और बढ़ती घरेलू मांग से आने वाले महीनों में ग्रोथ दर और मजबूत हो सकती है। अब सभी की नजरें सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले आधिकारिक जीडीपी आंकड़ों पर टिकी हैं, जो आने वाली आर्थिक दिशा को स्पष्ट करेंगे।

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