Chirag Paswan Refuses Deputy Cm: बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल मची हुई है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। कुल 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए को 202 सीटें मिली हैं, जबकि विपक्षी महागठबंधन को महज 35 सीटें ही नसीब हुईं। इस जीत का एक बड़ा श्रेय लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को भी जाता है। उनकी पार्टी ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा और 19 सीटें जीत लीं। यह उनके पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान के राजनीतिक विरासत को मजबूत करने का बड़ा कदम साबित हुआ है।
चुनाव नतीजों के बाद बिहार में नई सरकार का गठन हो चुका है। 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में भव्य शपथ ग्रहण समारोह हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दसवीं बार शपथ ली। उनके साथ पुरानी जोड़ी वाले विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी ने डिप्टी सीएम के पद पर शपथ ली। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेता मौजूद थे। लेकिन इस पूरे ड्रामे के बीच चिराग पासवान का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। क्या चिराग अपनी पार्टी की शानदार परफॉर्मेंस के दम पर डिप्टी सीएम का पद मांगेंगे? यह सवाल हर किसी के जेहन में घूम रहा था। आखिरकार, चिराग ने अपनी चुप्पी तोड़ दी और एक ऐसा बयान दिया, जिसने सबको चौंका दिया।

चिराग का सीधा जवाब, ‘लालची’ ठहराया जाने का डर, पद की मांग से किया इनकार/Chirag Paswan Refuses Deputy Cm
शपथ ग्रहण से ठीक एक दिन पहले, यानी 21 नवंबर को, चिराग पासवान ने पटना में अपनी पार्टी के कार्यालय पर मीडिया से खुलकर बात की। पत्रकारों ने जब उनसे डिप्टी सीएम पद को लेकर सवाल किया, तो चिराग ने हंसते हुए कहा, “चिराग पासवान और कितना लालची हो सकता है?” यह बयान सुनते ही माहौल में हंसी की लहर दौड़ गई, लेकिन इसके पीछे गहरी राजनीतिक समझ छिपी थी। चिराग ने साफ लफ्जों में कहा कि वे किसी पद की लालच में नहीं फंसना चाहते। उनकी प्राथमिकता बिहार के विकास और एनडीए के मजबूत गठबंधन को बनाए रखना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर वे डिप्टी सीएम की मांग करते, तो लोग उन्हें लालची कहते। इसके बजाय, वे केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर बिहार के हित में काम करना चाहते हैं।
चिराग का यह रुख उनकी परिपक्व राजनीतिक सोच को दर्शाता है। चुनाव से पहले भी उन्होंने कई इंटरव्यू में यही बात कही थी। एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि न उनके मन में डिप्टी सीएम बनने की कोई इच्छा है, न ही पार्टी किसी पद के मोह में फंसेगी। उन्होंने महागठबंधन का उदाहरण देते हुए कहा कि महत्वाकांक्षाओं ने ही विपक्ष को बर्बाद कर दिया। अगर वीआईपी के मुकेश सहनी डिप्टी सीएम के लिए अड़े न रहते, तो शायद उनका गठबंधन बच जाता। चिराग ने साफ कहा कि पहले सरकार बने, फिर सब कुछ तय होगा। लेकिन अब चुनाव नतीजे आने के बाद भी उनका स्टैंड वही है – कोई दावा नहीं, सिर्फ सेवा।
पीएम मोदी का फैसला, चिराग की तारीफ, LJP को मिला सम्मान
चिराग के बयान का एक बड़ा हिस्सा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने बिहार सरकार में उनकी पार्टी के दो विधायकों को मंत्री पद देकर उनका सम्मान किया है। चिराग ने पीएम का धन्यवाद देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री जी ने जो फैसला लिया है, वह बिल्कुल सही है। इससे हमारी पार्टी को मजबूती मिलेगी।” वाकई, शपथ ग्रहण में LJP (रामविलास) के दो विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली, जो चिराग की मेहनत का फल है। चिराग ने इसे “पिता रामविलास पासवान के सपनों का पहला पड़ाव” बताया। उन्होंने कहा कि यह जीत सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पूरे दलित समाज और बिहार के पिछड़े वर्गों की है।
पीएम मोदी ने भी शपथ ग्रहण के बाद ट्वीट कर चिराग और उनकी टीम की तारीफ की। उन्होंने लिखा, “बिहार सरकार में मंत्रियों के रूप में शपथ लेने वाले सभी साथियों को बधाई। यह एक शानदार टीम है, जो बिहार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।” चिराग ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी जी में ही वह मजबूत इच्छाशक्ति है, जो बिहार जैसे राज्य को बदल सकती है। उन्होंने गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने का श्रेय भी पीएम को दिया। चिराग ने कहा कि विपक्ष वाले कहते हैं कि कब होगा, लेकिन पीएम सही समय पर सही फैसला लेते हैं। यह बयान चिराग की मोदी के प्रति निष्ठा को दिखाता है। वे खुद को पीएम का “हनुमान” बताते हैं, जो बिना स्वार्थ के सेवा करता है।
चिराग का राजनीतिक सफर, पिता की विरासत से बनी मजबूत नींव
चिराग पासवान का यह बयान उनके राजनीतिक सफर को समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है। 2019 में पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग ने अकेले ही पार्टी संभाली। उन्होंने बिहार में NDA के लिए अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया, जो जोखिम भरा था। लेकिन 2020 के चुनावों में LJP ने 1 सीट जीती, जो चिराग की मेहनत का नतीजा था। 2025 के चुनावों में यह संख्या 19 हो गई। चिराग ने कहा कि वे पिता के निधन के बाद भी अडिग रहे। उन्होंने युवाओं और दलित समाज को जोड़ने पर फोकस किया।
चिराग का फिल्मी बैकग्राउंड भी चर्चा में रहता है। वे बॉलीवुड फिल्म “मिले न मिले हम” के हीरो थे, लेकिन राजनीति में आकर उन्होंने सब कुछ बदल दिया। अब वे केंद्रीय मंत्री हैं और बिहार में एक बड़ा चेहरा। उन्होंने घोषणा की कि 28 नवंबर को पार्टी का स्थापना दिवस पटना में मनाया जाएगा। जनवरी में ‘खरमास’ खत्म होने के बाद पूरे बिहार में यात्रा शुरू होगी, जिसमें छोटी-छोटी समस्याओं पर ध्यान दिया जाएगा। दलित सेना का पुनर्गठन भी होगा, जिसकी जिम्मेदारी अरुण भारती को सौंपी गई है। चिराग ने कहा कि 2030 के चुनावों में वे मुख्यमंत्री का चेहरा बनने का फैसला 2029 में लेंगे। तब तक, वे एनडीए के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे।
बिहार की राजनीति पर असर,चिराग का रुख एनडीए को और मजबूत करेगा
चिराग का यह बयान बिहार की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। विपक्ष, खासकर आरजेडी, चिराग पर हमलावर था। वे कहते थे कि चिराग और BJP नीतीश को साइडलाइन करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन चिराग ने नीतीश कुमार को ही अगला सीएम बताया। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने मर्यादा बनाए रखते हुए कहा है कि सभी दल मिलकर फैसला करेंगे, लेकिन नीतीश ही नेता रहेंगे। यह बयान एनडीए में एकता का संदेश देता है।
जातिगत जनगणना पर भी चिराग ने पीएम मोदी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि यह रामविलास पासवान के विचारों को पूरा करने वाला फैसला है। विपक्ष के भ्रम फैलाने पर चिराग ने कटाक्ष किया कि प्रशांत किशोर जैसे नेता ‘अहंकार की हद’ पार कर गए। चिराग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर भी सफाई दी कि विपक्ष ने भ्रम फैलाया। कुल मिलाकर, चिराग का रुख एनडीए को और मजबूत करेगा। बिहार जैसे राज्य में, जहां गठबंधन की राजनीति हावी है, चिराग जैसा युवा नेता स्वार्थरहित दिखना फायदेमंद साबित होगा।










