TVK Moves Supreme Court On SIR: विजय की TVK सुप्रीम कोर्ट पहुंची SIR को चुनौती देने! तमिलनाडु के चुनाव पर क्या है केंद्र का प्लान

TVK Moves Supreme Court On SIR SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में TVK का धमाका! विजय की पार्टी ने SIR पर उठाए सवाल!

TVK Moves Supreme Court On SIR: तमिलनाडु (Tamil Nadu) की राजनीति में मतदाता सूची को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। अभिनेता विजय (Actor Vijay) की पार्टी तमिलनाडु वेत्री कझगम (TVK) ने भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) द्वारा राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR कराने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पार्टी का आरोप है कि यह फैसला न केवल गैरज़रूरी है बल्कि इससे मतदाताओं की नागरिकता पर शंका पैदा की जा रही है। दिलचस्प बात यह है कि टीवीके के साथ अब डीएमके (DMK) ने भी इस आदेश का विरोध शुरू कर दिया है और अदालत में विस्तृत आपत्तियां रखी हैं। आखिर मतदाता सूची में ऐसा क्या है जिसने राज्य की दो बड़ी पार्टियों को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने पर मजबूर कर दिया? पूरा मामला क्या है, जानते हैं विस्तार से…

तमिलनाडु में SIR आदेश क्यों विवादों में आया?/TVK Moves Supreme Court On SIR

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने तमिलनाडु (Tamil Nadu) में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने का आदेश जारी किया है। चुनाव आयोग का तर्क है कि राज्य की मतदाता सूची को और अधिक सटीक एवं त्रुटि-मुक्त बनाने के लिए यह कदम जरूरी है। लेकिन राजनीतिक दलों के अनुसार, यह आदेश ऐसे समय में जारी किया गया है जब अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच पहले ही एक विशेष सारांश पुनरीक्षण (SSR) चलाया गया था। इस SSR अभियान में मृत्यु, स्थानांतरण, अयोग्यता जैसे सभी आवश्यक संशोधन किए गए थे और 6 जनवरी 2025 को संशोधित मतदाता सूची प्रकाशित भी हुई। इस अवधि के बाद भी लगातार सूची अपडेट होती रही है। ऐसे में एक और SIR शुरू होना राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर सवाल खड़े करता है।

विजय की पार्टी TVK क्यों पहुंची सुप्रीम कोर्ट?

अभिनेता विजय (Actor Vijay) की पार्टी तमिलनाडु वेत्री कझगम (TVK) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए दावा किया कि चुनाव आयोग द्वारा शुरू किया गया SIR न केवल अनावश्यक है बल्कि राज्य के मतदाताओं को शक की नजर से देखने जैसा है। टीवीके का आरोप है कि पहले ही अपडेट हो चुकी मतदाता सूची में दोबारा गहन समीक्षा करना और विशेष नियम लागू करना एक तरह से मतदाताओं के अधिकारों में हस्तक्षेप जैसा है। पार्टी ने कहा कि आयोग के नए निर्देश विशेष रूप से उन लोगों की नागरिकता की जांच की बात करते हैं जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे। टीवीके के अनुसार, यह नियम मनमाना है और लाखों वैध मतदाताओं को बेवजह संदेह के दायरे में लाता है। इसी आधार पर पार्टी ने SIR को चुनौती देते हुए इसे तुरंत रोकने की मांग की है।

DMK भी विरोध में उतरी

टीवीके (TVK) के बाद अब डीएमके (DMK) ने भी चुनाव आयोग के SIR आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। डीएमके ने अपनी याचिका में कहा कि हाल ही में हुए SSR अभियान में व्यापक संशोधन पहले ही किए जा चुके हैं, इसलिए दोबारा ऐसा अभियान चलाना न केवल अत्यधिक बोझिल है बल्कि संवैधानिक रूप से भी उचित नहीं है। डीएमके ने आरोप लगाया कि नए नियमों के तहत नागरिकता जांच की शर्त जोड़ना चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और इसमें भेदभाव की आशंका बढ़ती है। पार्टी ने यह भी कहा कि 2003 की मतदाता सूची को आधार बनाना अव्यवहारिक है, क्योंकि पिछले दो दशकों में करोड़ों नए मतदाता जुड़े हैं। दोनों दलों का मानना है कि यदि SIR को रोका नहीं गया तो लाखों नाम मतदाता सूची से हटने का खतरा है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तैयारी, आगे क्या होगा?

फिलहाल टीवीके (TVK) और डीएमके (DMK) दोनों की याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध किया जा रहा है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में अदालत चुनाव आयोग से इस पर विस्तृत स्पष्टीकरण मांगेगी। दूसरी ओर, चुनाव आयोग अपने आदेश को उचित बताते हुए जोर दे रहा है कि SIR प्रक्रिया पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। राजनीतिक रूप से यह मुद्दा तमिलनाडु में बड़ा विवाद बन चुका है, जहां विपक्ष इसे मतदाताओं को डराने और अवैध रूप से सूची से नाम हटाने की कोशिश बता रहा है। अदालत के आगामी फैसले पर इस पूरे विवाद का भविष्य टिका है। यदि सुप्रीम कोर्ट SIR पर रोक लगाता है तो चुनाव आयोग की प्रक्रिया ठप हो जाएगी, जबकि अनुमति मिलने पर राज्य में व्यापक पुनरीक्षण अभियान शुरू होगा।

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