Indore RTO Journalist Attack : इंदौर के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में हुई एक शर्मनाक घटना ने पूरे मध्य प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। यहां दलालों और RTO के एक कर्मचारी ने दो पत्रकारों पर खुलेआम हमला कर दिया। यह घटना न सिर्फ पत्रकारिता के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि आम जनता के लिए भी चिंता का विषय बन गई है। न्यूज 24 के वरिष्ठ पत्रकार राजा खान और अधिमान्य पत्रकार हेमंत शर्मा** कई सालों से इंदौर में साहसी पत्रकारिता कर रहे हैं। ये दोनों पत्रकार RTO में दलालों की मनमानी और भ्रष्टाचार की खबर लेने गए थे। लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें जमकर पीट दिया गया।
क्या थी घटना की पूरी कहानी?/Indore RTO Journalist Attack
कुछ दिन पहले राजा खान और हेमंत शर्मा RTO कार्यालय में दलालों के गोरखधंधे की पोल खोलने पहुंचे। दोनों पत्रकार वहां हो रहे भ्रष्टाचार के सबूत इकट्ठा कर रहे थे। तभी मौजूद दलालों को यह बात खल गई। दलालों ने न सिर्फ पत्रकारों को धमकाया, बल्कि RTO के एक बाबू के साथ मिलकर उन पर हमला बोल दिया।

हमले में दोनों पत्रकारों को गंभीर चोटें आईं। चेहरे पर मुक्के मारे गए, सिर में चोटें आईं और कपड़े भी फट गए। इतना ही नहीं, हमलावरों ने पत्रकारों के कैमरा और मोबाइल भी तोड़ने की कोशिश की। यह सब कुछ RTO के कार्यालय में ही हुआ, जहां सैकड़ों लोग मौजूद थे।
पुलिस के पास पहुंचे पीड़ित, फिर जो हुआ…
हमले के बाद घायल हालत में दोनों पत्रकार तेजाजी नगर थाने पहुंचे। लेकिन वहां भी उनकी परेशानी खत्म नहीं हुई। पुलिस ने पहले तो FIR दर्ज करने से ही इनकार कर दिया। पत्रकारों को घंटों थाने में बिठाए रखा गया।
पांच घंटे की जद्दोजहद के बाद आखिरकार FIR दर्ज हुई। लेकिन असली हैरानी तब हुई जब हमलावर खुद थाने में अपना पक्ष रखने के लिए आवेदन लेकर आ गए। एक आरोपी RTO कर्मचारी ने तो पुलिस को खुली चुनौती दे डाली। फिर भी पुलिस ने किसी भी आरोपी को हिरासत में लेने की जहमत नहीं उठाई। सभी आरोपी आराम से थाने से निकल गए।
इंदौर प्रेस क्लब में मच गया बवाल
इस घटना के बाद इंदौर प्रेस क्लब में शुक्रवार को सैकड़ों पत्रकार इकट्ठा हुए। देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों ने इस घटना की कड़ी निंदा की। बैठक में पत्रकारों ने पुलिस की उदासीनता पर जमकर भड़ास निकाली।
पत्रकारों का कहना था कि:
- पुलिस चाहती तो उसी समय सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर सकती थी
- RTO कर्मचारी ने थाने में आकर पुलिस को खुली चुनौती दी
- दलालों और RTO बाबुओं का पुलिस से गठजोड़ लगता है
कई बड़े सवाल खड़े हुए हैं
- पुलिस की भूमिका पर सवाल
जब आरोपी खुद थाने आ गए थे, तो पुलिस ने उन्हें क्यों नहीं पकड़ा? क्या पुलिस पर कोई दबाव था? या फिर दलालों से रिश्वत का लेन-देन चल रहा है? - RTO में दलालों का राज
RTO जैसे महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय में दलालों का खुला राज क्यों चल रहा है? आम आदमी को लाइन में खड़ा करवाया जाता है, लेकिन दलाल मिनटों में सारा काम कर देते हैं। - पत्रकारों की सुरक्षा का सवाल
पत्रकार भ्रष्टाचार उजागर करने का काम करते हैं। अगर उन्हें ही पीटा जाएगा तो भ्रष्टाचार का पर्दाफाश कौन करेगा? चौथा स्तंभ भी असुरक्षित हो गया है।
पत्रकारों ने की ये मांगें
इंदौर प्रेस क्लब ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
तत्काल गिरफ्तारी- सभी आरोपियों की 24 घंटे में गिरफ्तारी |
RTO में सफाई- दलालों पर कार्रवाई और सख्ती |
पुलिस जांच -तेजाजी नगर TI की भूमिका की निष्पक्ष जांच |
सुरक्षा नीति – पत्रकारों के लिए विशेष सुरक्षा नीति |
पुलिस कमिश्नर पर भी सवाल
पत्रकारों ने पुलिस कमिश्नर पर भी निशाना साधा। उनका कहना था कि कमिश्नर साहब एक तरफ मोहल्ला समितियों में बड़े-बड़े दावे करते हैं कि “कोई गुंडा बख्शा नहीं जाएगा”। लेकिन जब RTO का कर्मचारी ही गुंडागर्दी करता है तो पुलिस चुप है।
सवाल यह है:
- सरकारी नौकरी करने वाले लोग कानून को अपने हाथ में क्यों ले रहे हैं?
- क्या RTO कर्मचारियों को यह लगता है कि उनकी कोई जवाबदेही नहीं है?
- आम जनता कब तक इस गुंडाराज को सहती रहेगी?
मीडिया में उबाल, आंदोलन की चेतावनी
पूरे मीडिया जगत में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो पत्रकार बड़े स्तर पर आंदोलन करने की चेतावनी दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी #JusticeForJournalists और ArrestRTORowdies जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
आम जनता भी परेशान
यह घटना सिर्फ पत्रकारों की नहीं, बल्कि आम जनता की भी है। RTO में हर रोज हजारों लोग आते हैं। सभी को दलालों की मार झेलनी पड़ती है।
- लाइसेंस बनवाने के लिए 5-10 हजार रिश्वत
- वाहन रजिस्ट्रेशन में 15-20 हजार की वसूली
- सीआर नंबर के लिए 2-3 लाख की डिमांड
क्या होगा आगे?
अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पत्रकार लगातार प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। अगर 48 घंटे में कार्रवाई नहीं हुई तो:
- इंदौर बंद का ऐलान
- मुख्यमंत्री आवास का घेराव
- राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन
निष्कर्ष:
यह घटना सिर्फ दो पत्रकारों पर हमले की नहीं है। यह लोकतंत्र पर हमला है। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर प्रहार है। यह आम जनता के अधिकारों का हनन है।
प्रशासन को चाहिए कि:
सभी आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करे
RTO में विशेष जांच दल गठित करे
पुलिस की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो
पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करे
इंदौर का मीडिया और जनता एकजुट होकर इस लड़ाई को लड़ेगी। यह सिर्फ दो पत्रकारों की लड़ाई नहीं, बल्किसच्चाई और न्याय की लड़ाई है।










